अच्छे दिन और प्रचारकों का काम

मीडिया टुडे न्यूज़। बैंक ने सूचना भेजी है कि खाते में न्यूनतम बैलेंस नहीं मेनटेन किये जाने के कारण 1500 रुपए काट लिये गये। इसपर जीएसटी अलग से है और वह 270 रुपये यानी 18 प्रतिशत है। यह चालू खाते का मामला है। तो स्थिति यह हुई कि जो कारोबारी न्यूनतम बैलेंस नहीं रख पा रहा है उससे शुल्क तो लिया ही जा रहा है और उसपर अधिकत्तम जीएसटी है।

बात इतनी ही नहीं है, ईएमआई का भुगतान समय पर न हो तो बैंक जुर्माना लेगा और सरकार उसपर जीएसटी लेगी। इसी वसूली को सरकार हर महीने सीना ठोंक कर बताती है और मकसद यह बताना है कि सब ठीक है तभी तो इतना जीएसटी आ रहा है। कहने की जरूरत नहीं है कि इस खातेदार के पास खाते में रखने भर न्यूनतम पैसे नहीं हैं फिर भी बैंक उससे साल भर में छह हजार रुपये ले लेगा और उसपर 1620 रुपये जीएसटी होगा।

सरकार इसी वसूली के योगदान पर दावा कर रही है कि सब ठीक है, बेहतर हो रहा है। दूसरी ओर, नोटबंदी और जीएसटी का छोटे कारोबार पर ऐसा असर पड़ा कि कई बंद हो गये और जो चल रहे हैं वह जीएसटी वसूली में ऐसे ‘योगदान’ कर रहे हैं। तभी तो पांच ट्रिलियन का दावा अब नहीं होता है। लेकिन मीडिया बतायेगा नहीं। कारोबारी बताने की स्थिति में नहीं हैं। और प्रचारक अपने काम में लगे हैं।

संजय कुमार सिंह वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध अनुवादक हैं।

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