मीडिया टुडे न्यूज़। हम सब जानते हैं कि बाल यौन शोषण के आरोपों पर सरकार का रुख क्या रहा। अंततः आरोप वापस ले लिया गया, लेखिन झूठे आरोप के खिलाफ कार्रवाई की कोई खबर नहीं है। ऐसे में आरोप वापस लेने के मायने समझना मुश्किल नहीं है।
आज अखबारों में छपा है कि बच्चों के सेक्स से संबंधित सामग्री सोशल मीडिया से नहीं हटाई जाएगी तो सरकार कार्रवाई करेगी। सरकार आरोपी के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती और सोशल मीडिया को चेतावनी दे रही है कि आदेश का पालन नहीं हुआ तो क्या करेगी। अपनी ट्रोल सेना के काम भूलकर?
हम सब जानते हैं कि देश में सामाजिक स्थिति क्या है, घर में घुसकर फ्रिज में रखे सामान की जांच करने से लेकर एक विश्वविद्याल कैम्पस में क्या हुआ उसकी रिपोर्टिंग, सार्वजनिक प्रदर्शन, पुलिसिया कार्रवाई, गिरफ्तारी, सबूत होने का दावा पर मामले की सच्चाई का पता नहीं चला।
ठीक है कि अदालतों में समय लगता है लेकिन सरकार उसका फायदा मनमानी के लिए उठा रही है। मामलों का निपटारा नहीं हो रहा है। और यह सरकार विरोधियों के मामले में ही नहीं है। पुलवामा का भी अभी तक कुछ पता नहीं चला है। राहुल गांधी ने सत्यपाल मलिक का इंटरव्यू किया है।
आज ही खबर है कि प्रधानमंत्री अयोध्या में होने वाले राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होंगे। धार्मिक आयोजनों में प्रधानमंत्री का शामिल होना अपने आप में गलत है। पूजा करने के भी वेतन पा रहे हैं, जाने का खर्चा सरकारी ही होगा।
महुआ मोइत्रा पर आरोप राजनीति है। जो हो रहा है या होगा वह भी। इसमें उनकी सदस्यता चली भी जाये तो वे दोबारा कुछ महीनों बाद चुन ली जाएंगी बशर्ते चुनाव लड़ने पर ही प्रतिबंध नहीं लगा दिया जाये। अगर ऐसा होगा तो उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी। अटकलों का मतलब नहीं है।
नाम लिखा सूट लेंथ देश में पहली बार किसी को सार्वजनिक तौर पर दिया-लिया गया तो वह बड़ा मामला था। हमलोगों ने उसकी चिन्ता नहीं की। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, महिला आरक्षण जैसे चोंचलों के बाद भी कुछ सैंडल और लेडीज हैंड बैग के उपहारों को लेकर परेशान हैं।
प्रियंका गांधी ने एक रैली में पूछा, किसानों का इतना बड़ा आंदोलन क्यों हुआ और बताया कि नेताओं को जनता की चिन्ता नहीं होती है तो वे ऐसे निर्णय करते हैं जिससे जनता विरोध करने के लिए मजबूर होती है। उन्होंने कहा है कि नेताओं के पास भविष्य के लिए स्पष्ट दूरदृष्टि होनी चाहिए।
हिन्दुस्तान टाइम्स के अनुसार, एनसीईआरटी की एक उच्च स्तरीय समिति के प्रमुख ने कहा है कि पाठ्यपुस्तकों में इंडिया की जगह भारत लिखने की निर्विरोध सिफारिश की गई है। द हिन्दू ने बताया है कि एनसीईआरटी ने ट्वीटर पर कहा है कि इस खबर पर टिप्पणी करना अभी बहुत जल्दबाजी होगी।
संजय कुमार सिंह वरिष्ठ पत्रकार और प्रसिद्ध अनुवादक हैं।