नरेंद्र मोदी की आमसभा की विफलता के पीछे कार्यक्रम प्रभारी की निष्क्रियता आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा को पड़ सकता है भारी..!

अभिषेक कुमार शर्मा

मीडिया टुडे न्यूज़। छत्तीसगढ़ में चुनाव के कारण राजनैतिक मौसम की गर्मी बढ़ती जा रही है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रायगढ़ की आम सभा से छत्तीसगढ़ चुनाव का आगाज़ भी कर दिया है। इस विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी दूसरी बार फिर अपनी किस्मत आजमाने जनता के बीच पहुंच रही है। वहीं प्रदेश कांग्रेस भी सत्ता में दुबारा वापसी को लेकर अपनी रणनीति में राजनैतिक माहौल को भांपते हुए कठिन परिश्रम कर रही है। परन्तु देश में भाजपा के हाथ से विगत चुनावो में कई प्रदेश खिसक गए है। जिसके वजह से भाजपा की भी हवा अभी टाइट चल रही है, जिसकी वजह से नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ के आगामी चुनाव का बिगुल रायगढ़ की धरती से शुरुआत की है। नरेन्द्र मोदी ने रायगढ़ से अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत शायद इसलिए की क्योंकि विगत दिनों पूर्व प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने रायगढ़ में भव्य राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का सफल आयोजन किया था, इसे राजनैतिक गलियारों में मोदी का रायगढ़ आना एक बड़ा कारण माना जा रहा है।

नरेन्द्र मोदी की सभा के कार्यक्रम की रूप रेखा बनी एसी कमरों में
रायगढ़ भाजपा का सौभाग्य कहे या दुर्भाग्य की अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत मोदी ने रायगढ़ से की। रायगढ़ जिला भाजपा वैसे तो कई गुटो में बटी हुई है, जिस पर नरेंद्र मोदी की सभा की जिम्मेदारी दी गई। अब यहां गौर करने वाली बात यह है कि जब रायगढ़ शहर के बीचों बीच भाजपा का भव्य कार्यालय बना हुआ है, तो इतने बड़े कार्यक्रम की योजना कार्यालय में ना होकर आलीशान होटल के एसी कमरों में गुपचुप तरीके से क्यों की गई ? कार्यक्रम प्रभारी के रूप में भूपेन्द्र सवन्नी को प्रदेश भाजपा के द्वारा दायित्व दिया गया था, जो एसी कमरों तक सीमित रहा। एसी कमरों में बैठकर जिस प्रकार से कार्यक्रम की रूप रेखा बनाई गई, इसका जमीनी स्तर पर मोदी की सभा में आए कार्यकर्ता और आम जनता ने जीता जागता उदाहरण देखा और झेला भी। जिसकी वजह से जमीनी कार्यकर्ता एसी कमरों की योजना और चरणवंदना की भेंट चढ़ गए।

सभा को सफल बनाने के लिए एक से डेढ़ करोड़ के बजट के भाजपा नेताओं ने किए वारे न्यारे..?
विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नरेन्द्र मोदी की सभा को सफल बनाने हेतु प्रदेश से एक से डेढ़ करोड़ का बजट दिया गया था। चूंकि सभा की योजना एसी कमरों में अपने खास चमचों के साथ बैठकर बनाई गई थी, जिसके कारण चरण वंदना करने वालो पर ही कार्यक्रम की जिम्मेदारी थी, जिसका असर सभा में अति अव्यवस्था के रूप में साफ-साफ देखने को मिली। राजनैतिक गलियारों की माने तो भाजपा के कार्यक्रम को सम्हालने वाले बड़े नेता ने बजट के 80 प्रतिशत की राशि ही खर्च किया बाकी 20 प्रतिशत हिस्से को दबा दिया गया। अनुशासन का पाठ पढ़ाने वाले बड़े नेता का खुद की जेब गरम करने की खबर अब पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बनी हुई है।

सभा की अव्यवस्था का नतीजा जिला भाजपा को आने वाले विधानसभा चुनाव में देखने को मिलेगा ..?
नरेन्द्र मोदी की सभा को सफल बनाने की जिम्मेदारी लेने वाले तथाकथित चर्चित नेता सिर्फ अपने भाषणों से कुछ देर तक ही जनता का मन बहला सकते है। वहीं जमीनी स्तर पर जिला भाजपा के बड़े नेता का कोई जनाधार ही नही है। मोदी की लोकप्रियता के चलते ही जिले और प्रदेश के अन्य जिलों से भारी संख्या में भाजपा कार्यकर्ताओं और आम जनों का आना यह साबित करता है की नरेंद्र मोदी आज भी लोगो में लोकप्रिय बने हुए है। परन्तु सभा की अव्यवस्था की आंखों देखी बताए तो कार्यक्रम स्थल में कार्यकर्ताओं की भीड़ सुबह 10 बजे से आनी शुरू हो गई थी, पर सभा स्थल में आने वाले कार्यकर्ताओं के लिए पीने के पानी तक की व्यवस्था रायगढ़ भाजपा के कार्यकर्ताओं से नहीं हो पाई, कई महिलाएं अपने नव जात बच्चे को लेकर भी मोदी को देखने दूर दराज से आई हुई थीं। जो भूख से तिलमिलाते दिखीं, जिनके खाने के भोजन की कोई व्यवस्था वहा नहीं थी।

संगठन के हिसाब से, तो इन चीजों के लिए लाखो के बजट की व्यवस्था थी, परन्तु भूखे प्यासे जमीनी कार्यकर्ता और आम जनों के गले पानी के आस में सुख रहे थे, वहीं रायगढ़ भाजपा के चरण वंदना करने वाले नेताओं ने पानी और भोजन की व्यवस्था को ताक पर रखकर अपनी जेब गरम करना ज्यादा उचित समझा। क्योंकि इनको लगता है कि मोदी की सभा में लोग अपनी व्यवस्था लेकर ही आए हुए होंगे। रायगढ़ भाजपा के नेताओ ने खुद तो पानी और भोजन की कोई व्यवस्था भी नहीं की और तो और सभा के आस पास के होटलों और ढाबो को भी बंद करवा दिया। जिसके कारण जमीनी कार्यकर्ताओं में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा था। सभा स्थल ना जा सकने वाले कार्यकर्ताओं ने भूख को शांत करने चिखली तक का सफर तय किया, जहा शायद उनका जाना सफल हुआ हो।

मिली जानकारी के अनुसार लाखो रुपए के करीब नौ लाख पानी पाउच सभा स्थल से दूर फेके गए और लाखो भोजन के पैकेट भी बर्बाद हुए, ये सब चाटुकारिता के भेट चढ़ गए। रायगढ़ भाजपा का संगठन सिर्फ वीआईपी पास को और मोदी के साथ फोटो खिंचवा कर सोशल मीडिया में डालने में व्यस्त दिखा। रायगढ़ भाजपा संगठन का जमीनी आधार निरंक दिख रहा है और जमीनी कार्यकर्ताओं की अनदेखी का आक्रोश उनके मन मस्तिष्क पर इस कार्यक्रम के अनुभव के रूप में घर कर चुका है, जिसका खामियाजा आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा को देखने को मिलेगा या शायद पार्टी अपनी चाटुकारिता वाली छवि से बाहर आ पाएगी। सूत्रों ने यह भी बताया कि विज्ञापन के लिए आए पैसे से भाजपा के किसी पूर्व प्रवक्ता ने अपनी जेब गरम कर ली।

बहरहाल मोदी के कार्यक्रम को सफल बनाने का अगर उद्देश्य होता तो यह अव्यवस्था नहीं देखने को मिलती लेकिन जब कार्यक्रम की आड़ में अपनी जेब गरम करना ही उद्देश्य हो, तो फिर भगवान ही मालिक है।

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