मीडिया टुडे न्यूज़। छत्तीसगढ़ विधानसभा में अगले महीने आचार संहिता लागू होने को लेकर पार्टियों की प्रचार प्रसार की तैयारियों का खासा माहौल देखा जा रहा है। वहीं रायगढ़ विधानसभा के जनता के बीच विभिन्न पार्टियों के प्रत्याशियों पर चर्चा जोरों पर देखी जा रही है। भारतीय जनता पार्टी की ओर से राजनैतिक गलियारों में पूर्व कलेक्टर ओपी चौधरी के नाम की चर्चा से पार्टी के कई खेमों में दांव पेंच की राजनीति आरम्भ हो गयी है, चूंकि भाजपा के दिग्गज माने जाने वाले नेताओं की भी दाल उम्मीदवारी को लेकर नहीं गल रही है। इस कारण अब अंदर खाने की तैयारियों से इंकार भी नहीं किया जा सकता है।
रायगढ़ भाजपा के गूटों में बाहरी प्रत्याशी के कारण अपनी राजनैतिक साख के खत्म होने का भय बड़े नेताओं को सता रहा है जो स्वाभाविक है। इस कारण से आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को अपने ही लोगो से ज्यादा खतरा हो सकता हैं।
ओपी को रायगढ़ विधानसभा से चुनाव लड़ने हेतु प्रेरित करने वाले उनके राजनैतिक दोस्त या दुश्मन
ओपी चौधरी के रायगढ़ विधानसभा से लड़ने की खबरों से रायगढ़ की जनता भी असमंजस में है। वहीं उनको रायगढ़ से लड़ने के लिए प्रेरित करने वाले लोगों का जमीनी स्तर पर खुद का कोई जनाधार भी नही है। मिली जानकारी के अनुसार ओपी की लॉबिंग करने वाले तथाकथित नेता ने अपने कुछ खास लोगो से प्रदेश में फोन करवाया था, जिससे प्रदेश भाजपा में टिकट को लेकर उनकी जीत सुनिश्चित की जा सके। जबकि ओपी का रायगढ़ में कोई जनाधार नही है। राजनैतिक धुरंधरों के अनुसार ओपी को टिकट दिलाने या लाबिंग करने वाले तथाकथित नेता अपने राजनैतिक फायदे के लिए ओपी को आगे कर रहे है उसके पीछे उनकी मंशा यह दिखती है, अगर ओपी चुनाव जीत गए तो उनकी दुकान चल पड़ेगी। क्योंकि उनको पता है ओपी तो रायपुर में पड़े रहेंगे और इधर वे ही अघोषित विधायक के रूप में अपनी राजनीति चमकाते हुए अपनी स्वार्थ की पूर्ति कर ही लेंगे। शायद इसी समीकरण के कारण ओपी को बलि का बकरा बनाया जा रहा है। वही रायगढ़ की जनता में ओपी के नाम को लेकर भारी विरोध देखने को मिल रहा है, जिससे इस बार फिर रायगढ़ सीट कांग्रेस की झोली में जा सकती है। रायगढ़ भाजपा के बड़े नेताओ और धुरंधरों की माने तो ओपी के रायगढ़ से लड़ने की अटकलों में वे खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं, क्योंकि एक तरह से उनके घर में ओपी आकर उनका ही विरोध कर रहे हैं।
बहरहाल अपने ही क्षेत्र में अपना विरोध झेल रहे रायगढ़ के नेताओं का दुःख गत दिनों हुए मोदी के कार्यक्रम की अव्यवस्था से अंदाजा लगाया जा सकता है। वहीं ओपी को बलि का बकरा बनाने वाले उनके शुभचिंतक तो कतई नहीं है। रायगढ़ भाजपा में कई नेता विधायक बनने को लेकर लंबे समय से अपनी-अपनी तैयारियों में लगे हुए हैं और शहर में भी नेताओ की कोई कमी भी नही है, जिससे जनता किसी बाहरी व्यक्ति को अपनाएगी। बाहरी का मुद्दा कुछ ही दिनों में अब बहुत बड़ा मुद्दा बन चुका है, जिसे सोशल मीडिया में साफ साफ देखा जा सकता है। रायगढ़ विधानसभा में वैसे तो कई प्रत्याशी है जिनमे कईयों ने किसी दबाव में अपने हथियार डाल दिए है। वहीं वर्तमान में जो अभी तक पार्टी में टिकट को लेकर प्रयासरत है उनमें प्रमुख रूप से विजय अग्रवाल, गुरुपाल भल्ला, सुनील रामदास, विकास केडिया जिन्होंने अभी तक हार नहीं मानी है।
भाग – 2