भाजपा के टिकट वितरण के बाद रायगढ़ के लोगों की डॉ. राजू पर टिकी आंखें

मीडिया टूडे न्यूज़। विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा ने लगभग सभी सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। वहीं कांग्रेस में टिकट को लेकर अभी मंथन का दौर चल रहा है, जिसके मद्देनजर रायगढ़ के मतदाताओं में उत्सुकता बढ़ गयी है कि रायगढ़ में कांग्रेस भाजपा को टक्कर देने के लिए चुनावी मैदान में किस प्रत्याशी को उतार रही है। क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा द्वारा किए गए प्रत्याशी चैन में चुक के कारण ही कांग्रेस को अप्रत्याशित जीत मिली थी। वैसी भूल कांग्रेस के लिए घाटे के संभावनाओं को बल दे सकता है।

वर्तमान विधायक की पुनरावृत्ति कांग्रेस के लिए जोखिम भरा कदम
रायगढ़ के वर्तमान विधायक अगरिया समाज से आते हैं और रायगढ़ में भाजपा ने उसी समाज से ओ.पी चौधरी को टिकट दे दिया है। इसका परिणाम यह होगा कि उस समाज के वोटों में बटवारा तो निश्चित है। साथ ही पांच साल के उनके कार्यकाल की एंटी इनकंबेंसी भी उनके लिए जोखिम भरा होगा। इसके अतिरिक्त अग्रवाल समाज और कोलता समाज से इस सीट पर बहुतायत वोटर हैं। इनको दरकिनार करके चलना कांग्रेस के लिए महंगा सिद्ध हो सकता है।

भाजपा के प्रत्याशी पर योग्यता में, कांग्रेस का कौन प्रत्याशी पड़ सकता है भारी
यह सर्व विदित है कि भाजपा ने पूर्व आई.ए.एस. ओ.पी. चौधरी को टिकट दिया है, जो कि लगभग दो दशकों से कुछ अधिक समय तक कलेक्टर रह चुके हैं। इसलिए उनकी योग्यता पर कांग्रेस कोई प्रश्न नहीं ही खड़ी कर सकती है। वहीं यदि कांग्रेस के प्रत्याशियों में देखें तो डॉ. राजू अग्रवाल एक ऐसे प्रत्याशी हैं, जो कि विषय विशेषज्ञ, व्यवहार कुशल, पैतृक रूप से मिली नेतृत्व क्षमता आदि में ओ.पी. चौधरी पर बहुत अधिक भारी हैं।

क्योंकि आई.ए.एस. विषय विशेषज्ञ नहीं होता है और जहां तक मेरी जानकारी है कि ओ.पी. चौधरी स्नातक करने के बाद सीधे आई.ए.एस. की परीक्षा पास करने के पश्चात् सरकार हेतु लोक सेवा में अपना योगदान देना शुरू कर दिया था। वहीं डॉ. राजू एक एम.एस. हैं, जो कि शल्य चिकित्सा विज्ञान में परास्नातक की उपाधि होती है। ऐसे चिकित्सक ही मेडिकल कॉलेजों में प्राध्यापक के रूप में अपनी सेवाएं देते हैं, जो कि उनको विशेषज्ञता प्रदान करता है। किन्तु आई.ए.एस. को किसी विश्वविद्यालय में प्राध्यापक के रूप में नहीं बुलाया जाता है। जब तक उसने कोई अन्य उपाधि न प्राप्त की हो। डॉ. राजू अग्रवाल का यह गुण भाजपा के प्रत्याशी पर उन्हें भारी बनाता है। वहीं रायगढ़ से कांग्रेस के किसी भी अन्य प्रत्याशी में ऐसी योग्यता नहीं है, जो कि उनके बराबर विशिष्टता को सिद्ध करता हो।

प्रत्याशियों के बीच नेतृत्व क्षमता का अंतर
डॉ. राजू के पिता स्व. रामकुमार अग्रवाल कांग्रेस के कद्दावर नेता थे। इसलिए डॉ. राजू अग्रवाल को विरासत में मिली नेतृत्व क्षमता भी उनको विशिष्ट बनाता है। इसका प्रमाण रायगढ़ में प्रदूषण सहित कई मुद्दों पर आन्दोलन के माध्यम से उनके द्वारा दिया गया है। इसके कारण रायगढ़ की जनता के बीच उनकी अपनी साख भी है। वहीं कांग्रेस के अन्य प्रत्याशियों में ऐसा जुझारूपन और नेतृत्व क्षमता नहीं देखा गया है। इसके अतिरिक्त प्रतिद्वंदी पक्ष के बरसाती नेताओं में इस गुण की विहिनता भी देखी गयी है। जिसका प्रमाण रायगढ़ निगम में लाए गए अविश्वास प्रस्ताव से मिलता है।

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