मीडिया टुडे न्यूज़। छत्तीसगढ़ में भाजपा ने अपने लगभग सभी प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है। छत्तीसगढ़ में पार्टी प्रत्याशियों की टिकट वितरण में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह की ही चली, प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव तो केवल नाम मात्र के ही अध्यक्ष की भूमिका में दिखे। इन सभी स्थितियों में राजनैतिक गलियारों में टिकट वितरण में सबसे प्रमुख भूमिका में रमन सिंह रहे, वही रमन सिंह ने अपने पुराने कार्यकाल के साथियों को पुनः टिकट देकर छत्तीसगढ़ की जनता को अपने पुराने पंद्रह सालों की याद दिला दी है और एक संदेश भी दे डाला है, जिससे यह प्रतीत होता है की अगर किसी प्रकार से छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनी तो रमन सिंह ही बतौर मुख्यमंत्री बनेंगे?
खरसिया विधानसभा प्रत्याशी की घोर उपेक्षा से नाराज़ पार्टी कार्यकर्ता…..
भाजपा की पहली सूची में महेश साहू को पार्टी ने खरसिया विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है। पहली सूची जारी होने के उपरांत खरसिया विधानसभा सीट के प्रत्याशी महेश साहू की टिकट दिलाने में प्रमुख भूमिका निभाने में सोशल मीडिया पर ओपी उर्फ ओमप्रकाश चौधरी का नाम चलाया गया था जिसको लेकर काफी लोग उत्साहित दिख रहे थे, परंतु उन भ्रांतियों पर अब पूर्ण विराम लग गया है। खरसिया से 2018 में भाजपा से ओपी उर्फ ओमप्रकाश चौधरी ने चुनाव लडा और हार गए इसके बाद खरसिया विधानसभा से उन्होंने किनारा कर लिया परंतु महेश साहू को अगर उन्होंने ही टिकट दिलाई तो आज पर्यन्त तक ओमप्रकाश चौधरी ने खरसिया में महेश साहू को जीताने के लिए एक बार भी उनके समर्थन में कोई कार्यक्रम क्यों नही किया ? यह सवाल खरसिया का हर मतदाता और कार्यकर्ता आज पूछ रहा है या ओपी चौधरी से जानना चाहता है ? अगर माटी का माटी के लिए वाकई था तो अपने पार्टी के सहयोगी महेश साहू से पूर्व कलेक्टर का कैसा मन मुनाव है? भाजपा के स्टार प्रचारक का दंभ भरने वाले पूर्व कलेक्टर खरसिया के कार्यकर्ताओ के साथ और प्रत्याशी के साथ इतना अन्याय आखिर क्यों कर रहे है ? खरसिया की जनता उनसे सवाल पूछ रही है?
रायगढ़ विधानसभा में “मजबूरी बनाम ओपी उर्फ ओमप्रकाश चौधरी
भाजपा की दूसरी सूची में रायगढ़ विधानसभा से ओपी का नाम आते ही कुछ मुट्ठी भर कार्यकर्ताओ ने पार्टी कार्यालय में फटाके फोड़े। शाम को ही ओपी का स्वागत भाजपा कार्यालय में हुआ जिसमे साफ तौर पर रायगढ़ की जनता ने देखा कि स्वागत में उंगली में गिने जाने वाले कुछ भाजपा के तीन नेताओ और मुट्ठी भर कार्यकर्ता की ही उपस्थिति दिखी बाकी कार्यकर्ता और बड़े नेता रहे नदारद।
क्या बाहरी प्रत्याशी के उतारे जाने के कारण पार्टी में कोई जोश नही दिखा?
पिछले विधानसभा चुनाव में जब खरसिया से ओपी को टिकट मिली थी उस समय जो कार्यकर्ताओ में ओपी को लेकर जो जोश और उत्साह दिख रहा था। वह रायगढ़ में नाम आने के बाद अभी तक नही दिख रहा है, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पार्टी के अंदर कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है जिसके विपरीत ओमप्रकाश चौधरी लगातार पार्कों, सब्जी मंडियों , गांवों और शहर की कालोनियों में जन संपर्क कर रहे है।
जिला भाजपा चरण वंदना में शायद बहुत कुछ भूली?
जिला भाजपा यह भूल गई है की जिले में रायगढ़ के अलावा भी और विधानसभा सीटे भी है जिस पर काम करना होगा! जैसा की सर्व विदित हो रहा है की जिला भाजपा एक ही पार्टी प्रत्याशी की चरण वंदना में लीन हो गई है, जिससे बाकी विधानसभा पर अगर फोकस नही कर पाई तो आने वाले चुनाव में जिले की अन्य विधानसभा सीट भी हार सकती है। चूंकि रायगढ़ विधानसभा में ओपी उर्फ ओमप्रकाश चौधरी का भारी विरोध देखने को मिल रहा है। रायगढ़ की जनता इतनी आसानी से बाहरी प्रत्याशी पर भरोसा करेगी या नही यह तो समय के गर्भ में है। क्योंकि जनता मजबूर नही है जैसे पार्टी के नेताओ और कार्यकर्ताओ की मजबूरी देखने को मिल रही है?
रायगढ़ की जनता सवाल बहुत करती है?
भाजपा हो या कांग्रेस रायगढ़ की जनता सवाल बहुत करती है, सवालों से भागने वालो के लिए यह भी बड़ा सवाल है। इतिहास गवाह है महापौर चुनाव में रायगढ़ की जनता ने दोनो पार्टी के उम्मीदवारों को नकार दिया था और एकतरफा वोट मधु किन्नर को दे डाला जिसके बाद नगर निगम चुनाव में महापौर के तौर पर मधु किन्नर की जीत हुई।
रायगढ़ विधानसभा में भाजपा और कांग्रेस ने जबरन थोपे अपने प्रत्याशी
कांग्रेस के उम्मीदवार प्रकाश नायक का पिछला कार्यकाल बेहद खराब रहा जिसके कारण उनका बहुत ज्यादा विरोध बना हुआ है वही भाजपा के प्रत्याशी ओपी उर्फ ओमप्रकाश चौधरी के खरसिया से हारने के बाद रायगढ़ से रमन सिंह के शह पर टिकट दिया गया जिसको लेकर आम जनता ने पूर्व कलेक्टर को खरसिया से भगोड़ा और कई तरह की खबरे सोशल मीडिया में वायरल हो चुकी है। वही रायगढ़ की जनता उनको बाहरी प्रत्याशी के तौर पर मान रही है जिसकी वजह से उनका भारी विरोध हो रहा है। पूरे विधानसभा में इस बात को लेकर मंथन और चर्चाओं में यह बात निकलकर सामने आ रही है कि अगर रायगढ़ विधानसभा से कोई मजबूत प्रत्याशी निर्दलीय के तौर पर अपनी किस्मत आजमाता है तो ऐसी स्थिति में रायगढ़ का राजनैतिक समीकरण पूरी तरह से बदल जाएगा? रायगढ़ की जनता शायद उम्मीद भरी नजरो से ऐसे प्रत्याशी को खोज रही है जो रायगढ़ को बचाने इस चुनावी समर में आए ? कांग्रेस के प्रत्याशी के विरुद्ध कुल 22 लोगो ने पार्टी से टिकट मांगा था जिससे यह अंदाजा भी लगाया जा सकता है कि प्रकाश नायक का भी पार्टी में बहुत विरोध है। वही अगर मैदान में किसी मजबूत निर्दलीय प्रत्याशी ताल ठोक दे तो उसे दोनो दलों के नाराज़ मतदाताओं का पूरा समर्थन मिल सकेगा और समीकरण उस निर्दलीय प्रत्याशी के पक्ष में बनने की पूरी संभावना बताई जा रही है?
अभिषेक कुमार शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार / राजनीतिक विश्लेषक, रायगढ़ छत्तीसगढ़