मीडिया टुडे न्यूज़। किसानों के संगठन ने जब भी दिल्ली में शांति पूर्ण तरीके से आवाज उठाने के लिए संगठित हुए है समाचारों में उनके इस कदम को असंवैधानिक बताने हेतु प्रचार किया है जिससे देश में किसानों के प्रति हीन भावना पैदा हो जिसमे वे काफी सफल भी हुए है वही देश में ऐसे किसान जो आर्थिक रूप से कमजोर है उन राज्यों के किसानों का संगठित न होना ही उनके खत्म होने का संकेत माना जा सकता है। अब देश में किसान आंदोलन को लेकर आम जन में यह सवाल पैदा होता है की सिर्फ हरियाणा और पंजाब के किसान ही आंदोलन क्यों करते है या ये ही इसमें क्यों शामिल होते है तो इसका जवाब कृषि मंत्रालय ने खुल कर दूसरे सवाल के जवाब में मिलता है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार-
यूपी के किसान की मासिक आय- 8,061 रुपये
बिहार- 7,542 रुपये
मध्य प्रदेश- 8,339
गुजरात- 12,631
वहीं-
पंजाब- 26,701 रुपये , हरियाणा- 22,841 रुपये
बिहार, यूपी, मध्य प्रदेश, गुजरात का किसान इतना कमजोर है कि उसके लिए रोज़ी-रोटी की जुगाड़ मुश्किल है। पूरे भारत में सिर्फ़ पंजाब-हरियाणा का किसान आर्थिक रूप से उस स्थिति में है कि वो अपनी आवाज़ उठा सकता है। संगठित है। वहाँ कृषि संगठन हैं। हमें अपने हरियाणा और पंजाब पर गर्व है। कि अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं। मज़बूती से लड़ रहे हैं। वरना अपने आसपास के किसानों के बारे के सोचिए और बताइए कि आपके ज़िले के किसान कितने सक्षम हैं? कितने संगठित हैं? उनके किसान संगठन क्या 6 महीने आंदोलन कर पाते? हम किसान को कमजोर, मरा हुआ ही क्यों चाहते हैं? किसान छोड़िए इस सरकार ने छात्रों को कौन सा आंदोलन करने दिया? बैंकर्स को कौनसा आंदोलन करने दिया? अग्निवीरों को कौन सा आंदोलन करने दिया? SSC वालों को कब करने दिया? किसी भी आंदोलन को ये सरकार नहीं होने देती।” केवल पंजाब और हरियाणा किसान इस देश में संगठित बचे हैं।
बहरहाल लोकसभा चुनाव सर पर है वहीं ऐसे समय में हरियाणा और पंजाब के किसानों ने काले कानून के खिलाफ बिगुल फूंक दिया है और दिल्ली कूच के लिए एवं है की लड़ाई लड़ने हेतु शांति प्रदर्शन के लिए बड़े पैमाने पर निकल चुके है वह भी पहले से बड़ी तैयारी के साथ , वही केंद्र की मोदी सरकार भी किसान आंदोलन से बेहद डरी हुई दिख रही है इस कारण से दिल्ली आने के लगभग सभी रास्तों को सील कर दिया है।
मिली जानकारी के अनुसार दिल्ली से सटे हरियाणा में गांव गांव में माइक से प्रचारित किया जा रहा है कि किसानों के समर्थन में घरों से ना निकले ना ही किसी प्रकार से मदद करे …. यह बताता है कि केंद्र सरकार कि वास्तविक स्थिति क्या है।