★ नौकरी नहीं मिल रही है, यह बोलना काफ़ी नहीं है.! नौकरी क्यों नहीं है और 2014 से पहले के ज़माने में नौकरियां क्यों मिल रही थी, इस सवाल का जवाब ढूंढना ज़रूरी है..।
● सरकारी डेटा कहते हैं कि
UPA : भारत मे 1 लाख+ “फैक्टरी” लगी थी..
मोदी : लगभग 22,000 “फैक्ट्री” लगी है..
आप इस डेटा को ET, FT, Wire वग़ैरह में चेक कर सकते हैं..फैक्ट्री नहीं होगी तो रोज़गार बनेंगे कैसे?
● अब दूसरा सवाल है कि देश में फैक्ट्री क्यों नहीं खुल रही है..इसका भी जवाब सरकारी डेटा में ही है..।
UPA के वक़्त फैक्ट्री का मुनाफ़ा लगभग 19% की दर से ऊपर जा रहा था..?
मोदी के वक़्त यही मुनाफ़ा / प्रॉफिटेबिलिटी सिर्फ़ 0.6% है..0.6% में कौन पैसा इन्वेस्ट करेगा?
● एक छोटा सा चौंकाने वाला पर सबसे अहम सरकारी डेटा पढ़िए..हर बार जीडीपी के साथ आता है..।
“ग्रॉस कैपिटल फॉर्मेशन” (GCF) : इकॉनमी में इन्वेस्टमेंट जीडीपी का कितना प्रतिशत है बताता है , यह फिक्स्ड एसेट का इन्वेस्टमेंट बताता है..।
1. काँग्रेस के वक़्त था लगभग 22%
2. मोदी के वक़्त है “नेगेटिव 0.7%”
★ भारत के उद्योगपति ही भारत मे पैसा नहीं लगा रहे हैं।.यह बात हम 2018 से लिख रहा हूँ। उद्योपतियों के सारे डेटा फ़र्ज़ी है..सिर्फ़ ट्रेडिंग हो रही है..। मुझे मा’लूम है कि इन सब बातों में ज़्यादातर लोगों को कोई दिलचस्पी नहीं है..पर आपने क्या खोया और क्या पाया इसका हिसाब आज नहीं तो कल आपको करना ही पड़ेगा।