अभिषेक कुमार शर्मा
मीडिया टुडे न्यूज़। छत्तीसगढ़ की उद्योगिक नगरी का केंद्र माने जाने वाले रायगढ़ जिले में चार विधानसभा सीटें हैं, जो वर्तमान समय में कांग्रेस की झोली में है। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में पिछले विधानसभा चुनाव में भी चाटुकारिता के कारण पांचों विधानसभा सीट बलि की भेंट चढ़ चुकी है, वहीं पिछली गलती को पुनः पार्टी ओपी चौधरी के रूप में दोहरा रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता जग जाहिर है, उनको देखने और सुनने वाले काफी दूर दराज से उनकी सभा में आ पहुंचते हैं। वहीं भाजपा का नीचे से ऊपर तक का कार्यकर्ता भी यही सोचता है और उनको देखने के लिए लालायित रहता है।
ओपी चौधरी की अध्यक्षता में गत दिनों मोदी की रायगढ़ जिले के कोंडातराई में सभा हुई थी। जिसमें साफ तौर से देखा गया कि जिले के वरिष्ठ भाजपा नेताओ और पत्रकारों की घोर उपेक्षा हुई, जिसके कारण सभी नेता दबे स्वर में काफी नाराज़ चल रहे हैं। ओपी चौधरी और जिला भाजपा अध्यक्ष की हठधर्मिता के कारण क्षेत्र के बड़े नेताओ को मंच पर जाने नहीं दिया गया। वहीं कल हुई बिलासपुर में मोदी की सभा को देखें, तो साफ-साफ दिखाई देता है कि कैसे जानबूझकर रायगढ़ के कार्यक्रम में वरिष्ठ भाजपा नेताओं और जमीनी कार्यकर्ताओं को मंच से दूर रखा गया। चूंकि बिलासपुर में हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता अमर अग्रवाल कर रहे थे, जिसमे ओपी जैसे नेताओ की नही चली। बिलासपुर की सभा में साफ दिखाई दे रहा है कि वहा मंच पर सभी वरिष्ठ नेताओ को अपेक्षित श्रेणी में रखा गया था, पार्टी की यह रणनीति पार्टी को जीताने हेतु कार्यकर्ताओं को प्रेरित करता है।
अमर अग्रवाल भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की श्रेणी में आते हैं और उन्हें पार्टी को कैसे संगठित करके चलाना है बखूबी आता है, जबकि ओपी चौधरी जिस प्रकार से रायगढ़ जिले में अपनी मनमानी कर रहे हैं, उस हिसाब से इस जिले का माहौल अब काफी बदल चुका है। कार्यकर्ताओं में हताशा भर गई है, जबकि ऐसे समय में पहले कार्यकर्ता पूरे उत्साह और लगन से पार्टी के लिए कार्य करते थे। ओपी के मनमाने और कलेक्टरी वाले तेवर के कारण पार्टी रायगढ़ जिले में गर्त में जा रही है, जिसके कारण अंदाजा लगाया जा रहा है कि कहीं भाजपा ओपी के कारण चारो विधानसभा सीटों से हाथ ना धो बैठे। वैसे तो ओपी चौधरी ने जिले में ऐसा कोई ऐतिहासिक कार्य किया नही है, जिसके कारण उनका जनाधार बना हो, अलबत्ता पार्टी की परंपरा को बिगाड़ कर, क्षेत्र के वरिष्ठ नेताओ की उपेक्षा कर चुनावी मौसम में पार्टी का नुकसान ही कर रहे हैं, जो आने वाले विधानसभा चुनाव में रायगढ़ जिले की राजनीति पर बट्टा लगा सकता है ?
ओपी चौधरी ने खुद को आज तक भाजपा नेता स्वीकार नहीं कर रहे है..!
कलेक्टरी छोड़ कर अपनी राजनैतिक स्वार्थ पूर्ति के लिए भाजपा की सदस्यता तो ले चुके है, इसके बावजूद ओपी चौधरी सोशल मीडिया में आज पर्यन्त खुद को भाजपा नेता स्वीकार नहीं करते है ? हम ये बाते हवा में नही कर रहे है। ओपी चौधरी के सोशल मीडिया के फेसबुक अकाउंट को अगर आप गौर करें, जिसमे में खुद को एक्स आईएएस बता रहे हैं, साथ में वे खुद को मोटिवेशनल पब्लिक स्पीकर भी दर्शा रहे हैं, पर वे इसमें खुद को भाजपा और पार्टी जुड़ा हुआ नही बता रहे है। भाजपा से जुड़े छोटे से छोटा कार्यकर्ता भी अपनी सोशल मीडिया की आईडी पर भाजपा का सदस्य होना या किसी पद/दायित्व को गर्व से लिखता या दर्शाता है। वहीं प्रदेश भर में खुद को स्वयंभू तथाकथित बतौर सीएम दर्शाने वाले भाजपा का होने में शर्म क्यों महसूस कर रहे है ? यह समझ से परे है? जिसके लिए बिना जनाधार वाले रायगढ़ भाजपा का एक गुट सीट दिलाने आदि के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाए पड़ा है। इन सब को जानकर भाजपा का जमीनी कार्यकर्ता गुटबाजी की राजनीति से किनारा कर सकता है।
पार्ट – 3