मीडिया टुडे न्यूज़। छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राजनीति के चौसर पर अपने-अपने पांसा चले जाने लगे हैं। भाजपा के संभावित सूची के लिक होने को लेकर भाजपा के प्रदेश कार्यालय में बवाल होना बताया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर प्रदेश के दो तिहाई विधानसभाओं में भाजपा कार्यकर्ता खूलकर संभावित प्रत्याशियों का विरोध कर रहे हैं। इसका मूल कारण यह बताया जा रहा है कि उस सूची में ऐसे नाम भी हैं जिनका पैराशूट लैंडिंग हुआ है, वहीं भाजपा में गुटबाजी के कारण भी प्रदेश भर में विरोध देखने को मिल रहा है। इस विषय में चुनावी विश्लेषक यह बताते हैं कि पीछले विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं की नाराजगी चुनाव परिणाम के रूप में भाजपा को देखने के लिए मिला था। इसको विश्लेषक इस रूप में लेते हैं कि विधानसभा में भाजपा को मिली करारी हार के बाद, हुए लोकसभा चुनाव में प्रदेश के परिणाम भाजपा के लिए संतोष जनक रहे। इससे भाजपा को सीख लेने की आवश्यकता थी, किन्तु प्रदेश और जिले में बैठे भाजपा के पदाधिकारियों का रवैया मेरी मुर्गी के चार टांग वाले ही रहे। जो कि भाजपा के लिए आज सिरदर्द बना हुआ है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार संभावित सूची लिक होने के बाद बैठकों में तू-तू, मैं-मैं वाली स्थिति भी बनी। सूत्र बताते हैं कि भाजपा के प्रदेश कार्यालय में सूची लिक होने के बाद एक बैठक आयोजित थी, जिसमें डॉ. रमन सिंह और संगठन मंत्री पवन साय पर सूची लिक करने के आरोप प्रदेश के भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच चर्चा का विषय है। यह भी बताया जाता है कि लिस्ट लिक होने के मामले को प्रदेश के अन्य चुनाव प्रभारियों द्वारा पूरा श्रेय डॉ. रमन सिंह और पवन साय को दिया जा रहा है..? इस तारतम्य में सोशल मीडिया पर एक विडियो वायरल हो रहा है, जिसमें भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष अरूण साव और अजय जामवाल के गाड़ी को रोककर भाजपा के जमीनी कार्यकर्ता संभावित प्रत्याशी को बदलने के लिए विरोध प्रदर्शन करते हुए नारे बाजी करते देखे जा रहे हैं।
रायगढ़ के संभावित प्रत्याशी ओ.पी चौधरी को भी सताने लगा है डर..?
संभावित सूची के लिक होने के बाद प्रदेश कार्यालय से टिकट वितरण को लेकर रणनीति में बदलाव की संभावनाएं देखी जा रही हैं। सूत्र बता रहे हैं कि भाजपा 20 से 22 सीटों पर प्रत्याशियों को बदलने पर विचार कर रही है। वहीं रायगढ़ में कोलता समाज द्वारा किए गए विरोध व अग्रवाल समाज से बागी खड़ा होने के समाचार ने ओ.पी. के पेशानियों पर बल ला दिया है। इस विषय पर ओ.पी. के उंगलियों पर गिने जा सकने वाले समर्थकों द्वारा रायगढ़़ विधानसभा में कई जगह यह नरेटिव फैलाया जा रहा है कि ओ.पी. चौधरी रायगढ़ से चुनाव नहीं लड़ रहे हैं..? जिसका मुख्य कारण ओ.पी. के विरोध में उठे स्वर से प्रदेश भाजपा द्वारा रायगढ़ विधानसभा सीट के लिए पुनर्विचार किया जा रहा है।जिस कारण से नेरेटिव फैलाने वालो की मंशा शायद यह हो कि अगर हम ऐसा नेरेटीव प्रोग्राम करते है तो विरोध की आवाज़ को कुछ समय के लिए दबा दिया जा सकता है जिससे टिकट मिलने के बाद विरोधी लोगो को किसी तरह से शांत कराया जाए परंतु प्रदेशमे नए समीकरण के तहत रायगढ़ के विजय अग्रवाल और सुनील अग्रवाल के नाम पर विचार विमर्श किया जा रहा है? वही ओ.पी. के इस विधानसभा में चुनाव न लड़ने पर एक और चर्चा यह भी है कि प्रदेश में ओ.पी. को मुख्यमंत्री का अधोषित प्रत्याशी उनके समर्थकों द्वारा स्थापित किया गया है। जिससे ओ.पी. के दुश्मन भाजपा के कद्दवार नेता भी अंदरखाने हो गए हैं। इसी समीकरण के अनुसार यह बताया जा रहा है कि यदि ओ.पी. यहा से चुनाव लड़ते हैं, तो भाजपा के स्थानीय कद्दावर नेता बागी के रूप में चुनाव लड़ सकते है। बहरहाल चुनाव में अभी और अधिक पानी बहना है, जिसका इंतजार हमें रहेगा।
अभिषेक कुमार शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार / राजनीतिक विश्लेषक, रायगढ़ छत्तीसगढ़