तंबाकू से प्रतिवर्ष भारत में लगभग 13 लाख लोगो की मौतें हो रही है, कोटपा एक्ट का पालन नहीं करने पर दुकानदारों को देना पड़ेगा जुर्माना…

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सारंगढ बिलाईगढ।दिन प्रतिदिन समाज में नशा के प्रति युवा आकर्षित होकर जीवन को संकट में डाल रहे हैं। सीएमएचओ डॉ. एफ. आर. निराला ने कहा कि तंबाकू के सेवन को छोड़कर सभी लोग दीर्घायु जीवनयापन करें।

तंबाकू के सेवन को छोड़कर दीर्घायु जीवनयापन करें : सीएमएचओ डॉ. निराला…सीएमएचओ डॉ. एफ. आर. निराला ने जानकारी दी कि तंबाकू सामान्य सा दिखने वाला एक पौधा है जिसमें निकोटिन नामक रसायन होता है जिसे नशे के रूप में उपयोग किए जाने के कारण नशीला पदार्थ बन गया है। तंबाकू में हजारों प्रकार के रासायनिक पदार्थ मिले होते है जो खतरनाक होते है और जानलेवा साबित हो रहे है। तंबाकू से बहुत जल्द लत लगने की क्षमता होती है ये आसानी से उपलब्ध हो जाता है सस्ता भी होता है। तंबाकू सेवन देश की सबसे तेजी से बढ़ती स्वास्थ्य समस्या है। इससे प्रतिवर्ष भारत वर्ष में लगभग 13 लाख लोगो की मौतें हो रही है। यह देश की उत्पादकता और अर्थव्यवस्था के लिए भी एक चुनौती है। इस सबके बावजूद संतोष की बात है की तंबाकू से होने वाले बीमारी और मौत को बहुत आसानी से रोका जा सकता है। वैसे तंबाकू पूरी दुनिया के लिए एक चिंता का विषय है। देश के साथ हमारा प्रदेश छत्तीसगढ़ ज्यादा प्रभावित है। तंबाकू उद्योग में लगे लोग तरह तरह के हथकंडे अपना कर खास तौर पर बच्चो और युवाओं को अपने उत्पाद के प्रति आकर्षित करते है।हमें उद्योगपतियों की इस हथकंडे से अपने बच्चों आम युवाओं को बचाने की जरूरत है। तंबाकू नियंत्रण के प्रयासों को गति देने के लिए भारत सरकार के द्वारा वर्ष 2007-2008 में राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम (NTCP) की शुरुवात की गई था। जिसके अंतर्गत तंबाकू नियंत्रण अधिनियम(कोटपा एक्ट 2003) को प्रभावी ढंग से लागू करने की प्रयास हुई है जिसके अंतर्गत विद्यालयों में जागरूकता अभियान चला कर विभिन्न प्रकार के प्रचार प्रसार के माध्यम से तंबाकू के उपयोगकर्ता को परामर्श करके इसकी उपयोगिता को कम करने का बीड़ा उठाया है डबल्यूएओ एवं भारत सरकार के द्वितीय ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे 2017 के अनुसार भारत वर्ष में 28.6 प्रतिशत वयस्क लोगों के द्वारा तंबाकू का उपयोग अनेकों तरह से उपयोग कर रहा है, जिसमें 42.4 प्रतिशत पुरुष एवं 14.2 प्रतिशत महिलाओं के द्वारा उपयोग किया जा रहा है यदि छत्तीसगढ़ के संदर्भ में देखे तो 39.1 प्रतिशत वयस्क लोग उपयोग कर रहे है जिसमे 53.7 प्रतिशत पुरुष और 24.6 प्रतिशत महिला तंबाकू का सेवन कर रहे है। इसमें 36 प्रतिशत लोग तंबाकू को चबाने वाले के रूप में लेते हैं।ग्लोबल एडल्ट टोबैको वर्ष 2019 के अनुसार भारत वर्ष में 13 से 15 वर्ष के 8.6 प्रतिशत छात्र तंबाकू को किसी न किसी रूप में उपयोग कर रहे हैं, जबकि छत्तीसगढ़ में 8 प्रतिशत छात्र उपयोग कर रहे हैं, छत्तीसगढ़ में 5.7 प्रतिशत बालिका एवं 10.5 प्रतिशत बालक तंबाकू का उपयोग कर रहे हैं। इसमें 7.5 प्रतिशत शहरी एवम 8.1 प्रतिशत छात्र ग्रामीण अंचल के होते हैं। हैरान करने वाली बात है कि 13 से 15 वर्ष के शाला प्रवेशी बच्चो में तंबाकू उपयोग प्रारंभ करने की औसत उम्र 7.3 वर्ष है। 13 से 15 वर्ष के बच्चो में 75.5 प्रतिशत बच्चे तंबाकू का उपयोग सिगरेट के रुप मे उपयोग करते है, जिसे वे दुकान से खरीदते है। 18 वर्ष से कम उम्र के 70 प्रतिशत बच्चे तंबाकू का उपयोग कर रहे हैं, यह बहुत बड़ी चिंता का विषय है। प्रायः ऐसा देखा जाता है कि राज्य के शैक्षणिक संस्थानों के परिसर एवं आसपास तंबाकू उत्पाद जैसे सिगरेट, बीड़ी, पान मसाला, जर्दा, खैनी इत्यादि की बिक्री होते देखी जा सकती है। इससे कम उम्र के बच्चो एवं युवाओं में धूम्रपान एवं तंबाकू की लत को बढ़ावा मिलता है युवाओं को इसके लत से बचाने के लिए कोटपा एक्ट की धारा 6 में प्रावधान है कि 18 वर्ष के कम उम्र के बच्चो को तंबाकू उत्पाद नही बेची जा सकती।साथ ही किसी शैक्षणिक संस्थान के 100 गज के दायरे में तंबाकू उत्पाद की बिक्री पूर्णतः प्रतिबंन्धित है। किशोरावस्था मे उत्सुकतावस या मित्रों के साथ इन पदार्थों की सेवन शुरू होता है।फिर इसके नशा का आनंद लेते है और मात्रा बढ़ाई जाती है लत लग जाती है और बच्चा इसके आदि हो जाते है। तंबाकू को खरीदने के लिए पैसे की जरूरत होती है जिसके आपूर्ति के लिए पालको पर दबाव बनाना प्रारंभ हो जाती है। पैसे नही मिलने पर घर में तोड़ फोड़, चोरियां करना प्रारंभ कर दिया जाता है फिर तंबाकु के अलावा अन्य नशीली पदार्थ, दारू आदि का भी सेवन करता है।तंबाकू को दो रूपों में लिया जाता है पहला धुआंरहित जिसमे तंबाकू वाला पान, पान मसाला के साथ तंबाकू, तंबाकू और बुझा हुआ चुना, गुडाखू नस मंजन आदि। धुआं सहित में बीड़ी, सिगरेट, सिगार, चिलम, हुक्का।

कोटपा एक्ट के मार्गदर्शिका… धारा 4 : सार्वजनिक स्थान पर धूम्रपान निषेध उलंघन करने पर 200 रुपए जुर्माना दंड की भुगतान करने से इंकार करने पर हिरासत में लिया जा सकता है। धारा 5 : सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद के विज्ञापन का निषेध। उलंघन करने पर प्रथम बार उलंघन करने पर 1000 रुपए या 2 वर्ष की कारावास या दोनो। द्वितीय बार उलंघन करने पर 5000 रुपए या 5 वर्ष की कारावास। धारा 6 : कोई भी व्यक्ति सिगरेट तथा अन्य तंबाकू उत्पाद की बिक्री, बिक्री के लिए प्रस्थापना तथा बिक्री की अनुमति नही देगा। इसके दो भाग है धारा 6 a:- ऐसे व्यक्ति को या उसके द्वारा जिसकी आयु 18 वर्ष कम हो तथा धारा 6 b:-ऐसे क्षेत्र में जो किसी शैक्षणिक संस्थान की 100 गज की परिधि में हो उलंघन करने पर 200 रुपए की दंड। इसका पालन नही करने पर हिरासत में लिया जा सकता है। धारा 7 : सभी तंबाकू उत्पाद की पैकिंग पर सचित्र स्वास्थ्य चेतावनी।पहली बार उलंघन करने पर 5000 रुपए या 2 वर्ष की कारावास।दुहराए जाने पर 10000 रुपए या 5 वर्ष की कारावास के प्रावधान है। ये सब दंड निर्माता के उपर होंगे।ऐसे ही कार्यवाही विक्रेता अथवा वितरक के उपर भी हो सकती है, जिसमे प्रथम बार अपराध करने पर 1000 रुपए या 1 वर्ष के कारावास या दोनो हो सकते है। वही दुहराए जाने पर 3000 अथवा 2 वर्ष की कारावास हो सकता है।

सार्वजनिक स्थानो में धूम्रपान के नियम…

अधिनियम में सार्वजनिक स्थानों को भी परिभाषित किया है जैसे प्रेक्षा गृह(ऑडिटोरियम) मुक्त प्रेक्षागृह, स्टेडियम, स्वास्थ्य संस्थान, कार्य स्थल अस्पताल भवन, शैक्षणिक संस्थान, पुस्तकालय, मनोरंजन केंद्र, सिनेमा घर, शापिंग मॉल, रेस्तरां होटल, जलपान कक्ष, काफी हाउस। रेलवे स्टेशन, बस स्टॉप, हवाई अड्डे, सरकारी कार्यालय, न्यायालय भवन, सार्वजनिक वाहन, डिस्कोकेथ, पब, बार इत्यादि। इस नियम में मालिक, स्वामी, प्रबंधक पर्यवेक्षक को उपरोक्त व्यवस्थाओं का पालन कराना होगा। भवन के प्रवेश द्वार, अगर एक से अधिक मंजिल हो तो हर मंजिल में कही भी माचिस, ऐश ट्रे, लाइटर, या अन्य वस्तुओं को प्रदाय नही की जाएगी। उपरोक्त सभी व्यवस्थाओं को देखने की जिम्मेदारी मालिक की होगी।उलंघन करने पर मालिक जुर्माना के हकदार होंगे। मालिक चाहे तो स्मोकिंग जोन नियमानुसार बना सकता है। उसे स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करना होगा।
धूम्रपान रहित क्षेत्र बोर्ड :- मालिक को धूम्रपान रहित क्षेत्र की भी बोर्ड लगाना आवश्यक होगी। जिसमे मालिक का नाम और फोन नंबर लिखा रहेगा बोर्ड की साइज 30 cm x 60 cm की होगी।
शैक्षणिक संस्थाओं में तंबाकू मुक्त शैक्षणिक संस्थान लिखना होगा। जिसमे लिखा होगा इस शैक्षणिक संस्थान के 100 गज के दायरे में सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद की बिक्री एक दंडनीय अपराध है जिसका उलंघन करने पर 200 रुपए की जुर्माना हो सकता है। इसमें भी संस्था प्रभारी के नाम पदनाम मोबाइल नंबर लिखा रहेगा।इन सबका एक ही उद्देश है हमे छात्रों को तंबाकू या इसके अलग अलग उत्पादों से दूर रखना है। नशा किसी भी स्थिति में नुकसान दायक ही है खतरनाक है जानलेवा है नशा ही तो है खासकर तंबाकू या अन्य तंबाकू उत्पाद जिसके कारण व्यक्ति की चिड़चिड़ाहट, घबराहब, गुस्सा, पसीना आना, आंखे लाल हो जाना नींद न आना, खाना कम हो जाना, पाचन सही नही होना, ब्लड प्रेशर बढ़ने का संकेत है। ब्लड प्रेशर बढ़ने से इसके कॉम्प्लिकेशन के कारण ही स्ट्रोक, पक्षाघात, हार्ट अटैक आता है समुदाय में आज सर्वाधिक मृत्यु इसी के कारण हो रही है। न केवल तंबाकू को छोड़ना है बल्कि अपने जीवन शैली में परिवर्तन भी करने हैं। जिसमे रोज पैदल चलना, तालाब में तैरना, नमक कम खाना, तनाव में नही रहना, योग मेडिटेशन करना है। 12 माह में ब्लड प्रेशर की जांच कराना आदि हमे अपने परिवार, बच्चे, सियान सभी को इससे दूर रखना है।

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