कोई शिक्षित आदमी होता तो ठीक था, पर जब कोई सुशिक्षित आदमी बौनी बात करे तो अच्छा नहीं लगता है, यहां तो ऐसे लोगों ने राहुल को ज्ञान देने की झड़ी ही लगा दी है।
मानते हैं कि कोयला राष्ट्रीय सम्पत्ति है, और इस पर राहुल के ऊपर कार्रवाई भी हो सकती है, लेकिन क्या आप ये बात नहीं मानते हैं के अब, आज, राष्ट्रीय सम्पत्ति तो कुछ बची ही नहीं है, सब जगह क्रोनी कैपिटलाइजेशन, निजीकरण के माध्यम से सब अडाणी का नहीं है?
राहुल गांधी की एक खासियत है, अगर आप उस खासियत को नहीं देख पा रहे हैं तो फिर मैं मानता हूं कि आप पप्पू आदमी हैं, और राहुल के लिए कुछ भी लिखने तैयार हैं।
जहां आज राहुल गांधी है, इस बात की कौन गारंटी ले सकता है की वहां अडाणी का गोडाउन नहीं है, और वहां कोयला डंप नहीं हो रहा है, कोयले का प्राइवेट कारोबार नहीं हो रहा है?
राहुल को जानना ये है, की देश का एक बहुत बड़ा गरीब तबका जितनी मेहनत दिन रात करता है, क्या उसकी मेहनत का उसे उचित मूल्य दिया जाता है या नहीं?
अब आप किसी पुरानी बात को लेकर राहुल या कांग्रेस से रिसखुश रखते हैं तो इसका मतलब ये नहीं है की आप कुछ भी बोलेंगे, राजनीति में इतना भी अंधा तो नहीं होना चाहिए?
अब राहुल ने वहां जाकर उनसे मिले क्या…हाय हाय होने लगी और कोयले में राष्ट्र दिख गया, जब सब अडाणी को देकर प्राइवेट किया गया तब आप लोग कहां चले जाते हैं..।