नैतिकता : तब और अब

मीडिया टुडे न्यूज। तारीख 16 दिसंबर और साल था 1957. कांग्रेस सांसद फिरोज गांधी के अर्जेंट नोटिस पर लोकसभा स्पीकर ने उन्हें बोलने की इजाजत दे दी l फिरोज उठे और अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दियाl

फिरोज गांधी ने आरोप लगाया कि वित्त मंत्री के कहने पर एलआईसी ने बोगस शेयर खरीदेl इसके बदले कांग्रेस को 2.5 लाख रुपए का चंदा मिलाl पंडित नेहरू इससे तिलमिला गए और जांच कराने की बात कहीl उन्होंने मुंबई हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायधीश एमसी छागला को जांच का जिम्मा सौंपाl

दरअसल उस दौर में कोलकाता के कारोबारी और शेयर बाजार के सटोरिए हरिदास मूंदड़ा की नॉन परफॉर्मिंग कंपनी के शेयर भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने 1 करोड़ 26 रुपये मे खरीद लिया। जांच हुई तो सामने आया कि हरिदास मूंदड़ा ने सरकारी तंत्र का इस्तेमाल करके एलआईसी को अपनी संदेहास्पद कंपनियों के शेयर्स ऊंचे दाम पर खरीदने पर मजबूर किया था और *इसकी वजह से एलआईसी को नुकसान झेलना पड़ा था।

नेहरू जी ने इस घोटाले की सुनवाई जनता के सामने करवाई थीl भारत में ऐसा पहली बार हुआ कि किसी केस की सुनवाई जनता के सामने हुई हो। सुनवाई के लिए कोर्ट रूम के बाहर बड़े-बड़े लाउडस्पीकर लगाये गए ताकि जो लोग अंदर बैठकर कार्यवाही देख न पाएं वे कम-से-कम इसे सुन सकें। बताते हैं कि बड़ी तादाद में लोग यह सुनवाई देखने और सुनने जुटते थे। जब जज साहब फटकार लगाते तो लोग जोर जोर से तालियां बजाते थे। छागला ने ओपन कोर्ट में 24 दिनों तक जांच कीl इसमें तब के बेहद काबिल और नेहरू के पसंदीदा वित्त मंत्री टी टी कृष्णमचारी, वित्त सचिव और एलआईसी के चेयरमैन घेरे में आ गएl फरवरी 1958 में तीनों की कुर्सी चली गई और *मूंदड़ा को 22 साल की सजा मिली थीl लेकिन उसी देश मे आज कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही।

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