Electoral Bond Case कम्पनियों को दिए लाभ के बदले लिया था कमिशन? क्या ईडी के लिए यह जांच का विषय नहीं है

मीडिया टुडे न्यूज़। Electoral Bond Case मामले में कल इंडियन एक्सप्रेस ने ईमानदार बीजेपी की प्रशंसा में पाला बदलकर पहुंचे नेताओं को BJP washing machine में धुलने के बाद धुलाई की चमक की प्रशंसा की थी और आज द हिंदू ने Electoral Bond से चंदे के धंधे को बड़ी खूबसूरती से उजागर किया है।

The Electoral Bond का  Case केवल चुनावी चंदे का खेल नहीं था बल्कि, यह कम्पनियों को दिए लाभ के बदले लिया कमिशन था। जितना बड़ा काम, उतना ही बड़ा चंदा। यह पहले से तय प्रतिशत के रूप में लिया गया कमिशन था। कमिशन के खेल को छुपाने के लिए मोदी जी का एसबीआई के आगे चौकीदार बनकर खड़े हो जाना और भी निराला था। सालाना नुकसान दिखाने वाली कम्पनियों ने सैकड़ों करोड़ का चंदा दिया। बड़ा ही आश्चर्य जनक लगता है, नुकसान में चलने वाली कम्पनी आखिर पैसा कहां से दे रही थी। यह पैसा किसका था, इस काले धंधे में हाथ किसका है। क्या ईडी के लिए यह जांच का विषय नहीं है?

नोट बंदी के बाद बार बार कहा गया कि, कांग्रेस की शेल कम्पनियां बंद हो गई। बार बार शोर मचाकर छाती पीटी गई कि काला धन खत्म कर दिया गया। लेकिन सरकारी स्वीकृती वाले Electoral Bond Case इलेक्टोरल बांड के रंगीन कागज़ में लिपटी वो कम्पनियां किसकी है जो बीजेपी को चंदा दें रही है? बड़े ही शर्म और ज़लालत भरी बात तो यह है कि, घटिया दवा बनाकर देश के स्वास्थ्य से खेलने वाली कम्पनियां भी बीजेपी को चंदा देकर सरकारी कार्यवाही से बच निकली। ऐसा तो कभी पाकिस्तान जैसे देश में भी होते नहीं सुना गया जो, बीजेपी ने भारत माता की जय बोलते हुए कर दिया।

पिछे हुए 5 राज्यों के चुनावों में छत्तीसगढ़ में महादेव एप का शोर बड़े ही जोरों से सुना होगा। यह कोई सट्टा माफिया का एप बताया जा रहा था। ऐसे ही किसी लाटरी कम्पनी से बीजेपी ने भरपूर, पेटभर चंदा लिया, तो क्या महादेव एप से भी ऐसे ही खेल का जुगाड तो नहीं था? अब उसका जिक्र बंद क्यों है?

देश को धर्म के रंगीन चकाचौंध में बैठाकर खुद काले चंदे का खेल खेलने वाली भाजपा (बीजेपी) चुनावी सभाओं में अब भी भ्रष्टाचार से लडने का दावा कर रही है। चुनावी बांड का ढोल फूटने के बाद अभी पीएम केयर फंड का लिफाफा खुलना बाकी है। अगर देश इस लिफाफे को खोलना चाहता है तो, इस चुनाव में बीजेपी को सत्ता से धक्का देना जरूरी है, नहीं तो बीजेपी के पाप यूंही धर्म की आड़ में छुपाकर देश को मूर्ख बनाया जाता रहेगा। फिर 5 किलो राशन लेने वालों की संख्या बढ़ा दी जाएगी ओर प्रधानमंत्री इसको भी अपना विकास बताकर देश को मूर्ख बनाते रहेंगे…?

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