Lok Sabha Election 2024 The Middle Class’s Grassroots Battle “मध्यम वर्ग की आधारभूत लड़ाई : समृद्धि और सामाजिक स्थिति के लिए नए राजनीतिक परिवर्तन का संकेत”

Lok Sabha Election 2024 "The Middle Class's Grassroots Battle

Lok Sabha Election 2024 “The Middle Class’s Grassroots Battle: A Sign of New Political Change for Prosperity and Social Status”

 

मीडिया टुडे न्यूज़।  पिछले 1 साल पहले जब भी मैं किसी को कहता की ये चुनाव 2004 का रिजल्ट दोहराएगा तो विपक्ष का हार्डकोर समर्थक भी कहता कि ऐसा पॉसिबल नहीं है लेकिन जैसे जैसे Lok Sabha Election 2024 चुनाव आगे बढ़ता जा रहा तो लोग कहने लगे है कि इस बार रिजल्ट अप्रत्याशित होने वाला है। The Middle Class’s Grassroots Battle वर्तमान में अब मध्यम वर्ग परिवारों की यह एक आधारभूत लड़ाई बन चुकी है।

जहां एक ओर बीजेपी का कोर वोटर से लेकर आई टी सेल सीन से नदारद है या दशकों से फैलायी गई ट्रोलिंग का स्वाद पहली बार ख़ुद चख रहा है, वही बीजेपी का आम कार्यकर्ता ना सिर्फ़ शांत है बल्कि दबी ज़ुबान मोदी शाह के आचरण का विरोध कर रहा है। पिछले एक दशक में पहली बार सामान्य वोटर खुल कर मोदी का विरोध कर रहा है और इनकी नीतियो के नुक़सान बता रहा है, तो कोई समर्थक उसकी बात को काटने या मोदी का समर्थन करने सामने नहीं आ रहा है।

Lok Sabha Election 2024 में चुनाव का सही आँकलन चाय या पान की दुकान पर हो सकता है जहां पर पिछले 10 सालों से कांग्रेस का सपोर्टर या तो ग़ायब था या मोदी के सपोर्टरों के सामने बिलकुल साइलेंट था लेकिन इस बार ना सिर्फ़ वो खुल के कांग्रेस का सपोर्ट कर रहा है, बल्कि मोदी को गरिया रहा है और न्यूट्रल वोटर उसको सुन और समझ रहे है।

ग्रामीण क्षेत्र में बेरोज़गारी एक बहुत बड़ी समस्या है उस पर थोड़े से संपन्न किसानों की वर्तमान युवा पीढ़ी खेती को बहुत ही कठिन और अलाभकारी मान कर खेती से दूर हो कर अन्य विकल्प के रूप में नौकरी या व्यवसाय का विकल्प तलाशने लगी थी। लेकिन लगातार होने वाले पेपर लीक और घटती सरकारी नौकरी की वजह से इन लोगो ने आस पास के क़स्बो में कोई रिटेल शॉप ले कर छोटा मोटा रिटेल बिज़नेस डाल रखा है ताकि कटाई के समय ये खेती को थोड़ा समय दे सके और बाक़ी टाइम रिटेल से अपना जीवन यापन कर सके।

पिछले एक दशक में बिग बिज़नेस हाउस ने अपने स्टोर छोटे शहरो से कस्बों तक में खोल दिये है तो रही सही कसर ऑनलाइन शॉपिंग के डिस्काउंट ने पूरी कर दी है इसकी वजह से रिटेल बिज़नेस एक दम खत्म होने के कगार पर है। खेती, नौकरी और रिटेल बिज़नेस के खात्मे ने ग्रामीण क्षेत्र के मध्यम वर्गीय The Middle Class लोगो के भविष्य को अंधकारमय बना दिया है और इसी भविष्य के डर से वो भक्त्ति और सांप्रदायिकता के भँवर से बाहर निकल कर विकल्प तलाश रहा है।

सत्ता परिवर्तन से अपने उज्जवल भविष्य या इस अंधकार से बाहर निकलने की क्षीण सी आश लिए बैठा ये ही वो वर्ग है जो चुनाव में बदलाव की एक अनकही लहर का बयार कर रहा है। ‘400 पार’ दूसरा ‘शाइनिंग इंडिया’ होने वाला है जिसकी बानगी Narendra Modi मोदी और शाह Amit Shah के हाव- भाव से लेकर भाषणों में झलकने लगी है। सांप्रदायिकता की प्रयोग फैक्ट्री नार्थ इंडिया में हुए नुक़सान को तो तो छोड़ दो अपने ख़ुद के गढ़ गुजरात में भी बीजेपी कम से कम 3 सीट हार रही है।

लेकिन लड़ाई अभी बहुत लंबी है और विपक्ष को सेल्फ गोल से बचते हुए बीजेपी के नैरेटिव से सावधान होते हुए बाक़ी चुनाव लड़ना है। सबसे बड़ी बात यह है कि ये लड़ाई अब कांग्रेस या विपक्ष की है ही नहीं ये लड़ाई माध्यम वर्ग The Middle Class के हर उस शख़्स की है जो इस सरकार की नीतियों की वजह से अपना डेली का जीवन बशर कठिनाई से पूरा कर पा रहा है। यह लड़ाई बेबसी के हर उस पल के खिलाफ है जब पैसे की तंगी की वजह से आपने अपने या अपने परिवार की ईच्छा का गला घोटना पड़ा है।

अगर माध्यम वर्ग The Middle Class को तिल तिल मरते हुए उस पल से बाहर निकलना है तो घर से बाहर निकलना पड़ेगा और बीजेपी के ख़िलाफ़ वोट देना होगा और जब लड़ाई ख़ुद की है तो नोयते का इंतज़ार नहीं किया जाता बल्कि आगे बढ़ के साथ दिया जाता है तो किसी अफ़वाह में ना आये क्योंकि चुनाव हम जीत रहे है बस आप का साथ की ज़रूरत है।

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