मीडिया टुडे न्यूज। हमारे देश का revenue department (राजस्व विभाग) सबसे भ्रष्ट और कानूनी लूट का सबसे बड़ा विभाग कहना कई मायनों में गलत नही होगा। उसमे देश के छत्तीसगढ़ राज्य में एक ही कार्य के अलग अलग जिलों में भी नियम और कायदे अलग लागू किए जाते रहे है।
देश सिर्फ कहने के लिए के लिए ही आज़ाद है, असल में भारत से अंग्रेज़ो के जाने के बाद जो नई व्यवस्था बनाई गई थी? वह अंग्रेजो की उसी व्यवस्था का हिंदी रूपांतरण कहा जा सकता है जिसे लागू किया गया, जिसमे देश के revenue department (राजस्व विभाग) के नियमो और कानून और काम करने के तरीकों पर गौर करे तो यह गोरे अंग्रेजों के लुटने के तरीकों को और भी ज्यादा पेचीदा बनाकर काले अंग्रेजों ने गोरों को तो बहुत पीछे ही छोड़ दिया है।
राजस्व के ऑनलाईन पोर्टल में सुधार दर्ज कराने का गोरखधंधा
छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के कुछ राजस्व अधिकारियों की मनमानी और गैरजिम्मेदाराना रवैया रायगढ़ और पुसौर तहसील के अंतर्गत आने वाले जमीन/मकान मालिक बखूबी इस दर्द को जानते होंगे? सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उक्त दो तहसील के कुछ राजस्व निरीक्षक और पटवारियों का काम ईमानदारी से लबालब है, इनके हर सरकारी काम करने का रेट चार्ट फिक्स है? पता नही इस तरह के कर्मचारी शासन से तनख्वाह किस चीज की लेते है! income tax department आयकर विभाग को ऐसे अधिकारी और कर्मचारियों को बारीकी से नज़र रखने की आवश्यकता है। यह विभाग भ्रष्टाचार में ऊपर से नीचे तक काले धन अर्जित करने का कारखाना माना जा सकता है।
• बिक्री नकल निकलने के नाम पर ?
• डायवर्सन में सुधार कराने के नाम पर?
• नाप जोक हो या नक्शा बनाने से संबंधित कार्य?
• नजरी नक्शा बनवाना हो या त्रुटि सुधार?
राजस्व विभाग में उक्त कोई भी कार्य करवाना हो बिना चढ़ावे के कागज हिलते तक नहीं है। गरीब जनता से यह तो सिर्फ गैर कानूनी लूट है, कानूनी लूट के बारे में अगर गौर करे तो जब हम किसी जमीन की रजिस्ट्री करवाते है तो सरकार को स्टांप ड्यूटी के नाम पर लाखों के स्टांप पेपर हमे खरीदने होते है जिनकी ड्यूटी फीस जगह के अनुसार अलग अलग होती है? रजिस्ट्री विभाग में कार्य करने वाले अधिकारियों की रोज दिवाली बनती है जो जमीन मकान खरीदने वाले से वसूली किया जाती है, वह व्यक्ति रूपयो की मनमानी लूट का शिकार होता है। उसके बाद नामांतरण के नाम पर आप आवेदन करते है वहा भी आपसे रूपयो की मांग की जाती है अगर आपने देने में आना कानी की तो आपको महीनो या सालों तक इतना घुमाया जायेगा कि मजबूरी वश आपको पैसे देने ही पड़ेंगे जबकि सरकार ने जब रजिस्ट्री में स्टांप पेपर के नाम पर आपसे मोटा पैसा लिया है तो यह सरकार या शासन की जवाबदारी होनी चाहिए की रिकार्ड में नाम स्पष्ट रूप से दर्ज करे। मिली जानकारी के अनुसार कुछ मामले में यह भी देखा गया है कि दुर्भावना के कारण लोगो के जमीन या प्लाट के बटाकन को ही बदल दिया जाता है और वह आवेदक सालो तक उसे सुधारने के लिए कार्यालयों के चक्कर काटता रहता है? वहीं अगर आपने उस जमीन का व्यापारिक उपयोग करना है तो आपको व्यापारिक उपयोग हेतु डाईवर्सन करना होता है। जिसमे हर वर्ष सरकार नियम के तहत आपसे अलग से आपको तय कीमत हर साल जमा करना होती है यहां गौर करिए जब सरकार या शासन आपसे हर वर्ष डाईवर्सन के नाम फीस लेती है तो उसे ऑनलाइन पोर्टल में दर्ज करने की जिम्मेदारी नहीं होनी चाहिए उनकी? इसमें भी जमीन मालिक से रिकार्ड में दर्ज कराने के नाम पर महीनो चक्कर लगवाए जाते है ताकि इस काम के नाम पर भी आपसे डिमांड कर सके?
यह पूरा सिस्टम भ्रष्टाचार से प्रेरित है जनता को कैसे लूटे इसके लिए समय समय पर नए नए नियम और कानून बना दिए जाते है एक दिन के काम को छह महीने में कैसे करे और इस काम को करने के लिए जनता को रुला कर पैसे ऐंठने का बकायदा पूरा सिस्टम बनाया जाता है। रिकार्ड से छेड़ छाड़ करने वाले अधिकारियों पर कभी कोई कार्यवाही नहीं होती उसके लिए आवेदक का पैसा और समय दोनो बर्बाद होता है। इन सभी कार्यों की जवाबदेही और समय सीमा प्रमुखता से तय होनी चाहिए।