मीडिया टुडे न्यूज़। रायगढ़ शहर में दूध डेयरियों में नकली दूध Fake Milk in Raigarh का विक्रय जोर-शोर से जारी है। यह स्थिति न केवल उपभोक्ताओं के विश्वास को तोड़ रही है, बल्कि छोटे नवजात बच्चों की सेहत पर भी गंभीर खतरा पैदा कर रही है। इस लेख में हम नकली दूध (Fake Milk) के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करेंगे और इसके सेवन से होने वाली बीमारियों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
सूत्री से मिली जानकारी के अनुसार रायगढ़ शहर में नकली दूध बनाने का कारोबार शहर के गौरी शंकर मंदिर के आस पास, चक्रधर नगर चौक के समीप , केवड़ाबाडी बस स्टेंड रोड एवं शहर के अन्य जगहों पर नकली दूध बनाने का गोरख धंधा चलाया जा रहा है। एक सर्वे के अनुसार जिले में कुल दूध उत्पादन से दुगुना शहर में दूध की खपत हो रही है जो हमे नकली दूध के फलते फूलते व्यापार की ओर इशारा करता है। यही हमारी सेहत के लिए गंभीर खतरा की घंटी है जो भविष्य में हॉस्पिटल में होने वाले भारी भरकम खर्च के बजट और असमय मृत्यु की ओर ले जाती है।
नकली दूध (Fake Milk) का उत्पादन और विक्रय
नकली दूध ( Fake Milk) का उत्पादन कुछ अवैध डेयरियों द्वारा किया जा रहा है, जिनका मुख्य उद्देश्य अधिक मुनाफा कमाना है। यह दूध विभिन्न हानिकारक रसायनों और सस्ते पदार्थों से तैयार किया जाता है, जिनमें डिटर्जेंट, यूरिया, स्टार्च और रिफाइंड तेल शामिल हैं। ये पदार्थ दूध के समान दिखने और स्वाद में थोड़ा मेल खाने के लिए मिलाए जाते हैं, लेकिन इनका सेवन स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक होता है।
नकली दूध (Fake Milk) के सेवन से होने वाली बीमारियां
नकली दूध के सेवन से नवजात बच्चों और अन्य उपभोक्ताओं को कई गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ता है। इनमें से कुछ प्रमुख बीमारियां इस प्रकार हैं:
1. पेट की समस्याएं
नकली दूध में मौजूद रसायनों के कारण पेट की समस्याएं आम हो जाती हैं। नवजात बच्चों में यह समस्या अधिक गंभीर हो सकती है क्योंकि उनका पाचन तंत्र अभी पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ होता। डायरिया, उल्टी और पेट दर्द जैसी समस्याएं आम हैं, जो बच्चों की सेहत को बुरी तरह प्रभावित कर सकती हैं।
2. किडनी की समस्याएं
यूरिया और अन्य रसायनों का सेवन किडनी पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। नवजात बच्चों की किडनी इतनी मजबूत नहीं होती कि वे इन हानिकारक तत्वों को फिल्टर कर सकें, जिससे किडनी की कार्यक्षमता में कमी आ सकती है और लम्बे समय तक चलने वाली बीमारियां उत्पन्न हो सकती हैं।
3. एलर्जी और त्वचा की समस्याएं
नकली दूध में मिले रसायनों से एलर्जी और त्वचा की समस्याएं हो सकती हैं। नवजात बच्चों की त्वचा बहुत ही संवेदनशील होती है और रसायनों के संपर्क में आने से उन्हें खुजली, रैशेस और अन्य त्वचा रोग हो सकते हैं।
4. हृदय रोग
नकली दूध में उच्च मात्रा में मिलाए गए वसा और अन्य रसायनों के कारण हृदय रोग की संभावना भी बढ़ जाती है। नवजात बच्चों में हृदय की समस्याएं अत्यंत गंभीर हो सकती हैं और समय पर इलाज न होने पर यह जानलेवा भी हो सकती हैं।
5. मस्तिष्क विकास पर असर
नकली दूध में पोषक तत्वों की कमी होने के कारण नवजात बच्चों के मस्तिष्क के विकास पर भी असर पड़ता है। आवश्यक विटामिन्स और मिनरल्स की कमी से मानसिक विकास रुक सकता है, जिससे बच्चों की बुद्धिमत्ता और शारीरिक विकास प्रभावित होता है।
समस्या का समाधान
रायगढ़ में नकली दूध की समस्या का समाधान अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:
1. सख्त कानून और नियमों का पालन
सरकार को दूध डेयरियों पर सख्त निगरानी रखनी चाहिए और नकली दूध बनाने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए। नियमित जांच और गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित करना चाहिए ताकि उपभोक्ताओं को सुरक्षित और शुद्ध दूध मिल सके।
2. जनजागरण अभियान
नागरिकों को नकली दूध की पहचान और इसके हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूक करना आवश्यक है। विभिन्न माध्यमों से जनजागरण अभियान चलाए जा सकते हैं, जैसे कि टीवी, रेडियो, समाचार पत्र, और सोशल मीडिया। इसके अलावा, स्कूलों और सामुदायिक केंद्रों में भी जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते हैं।
3. प्रयोगशालाओं का विस्तार
दूध की गुणवत्ता जांचने के लिए अधिक प्रयोगशालाओं की स्थापना की जानी चाहिए, जहां उपभोक्ता अपने दूध की जांच करा सकें। इससे नकली दूध की पहचान आसान हो जाएगी और लोग सुरक्षित दूध का उपयोग कर सकेंगे।
4. स्थानीय उत्पादकों का समर्थन
स्थानीय और छोटे डेयरी उत्पादकों को समर्थन देकर नकली दूध की समस्या को कम किया जा सकता है। स्थानीय उत्पादकों को अधिक प्रोत्साहन और वित्तीय सहायता दी जानी चाहिए ताकि वे गुणवत्ता पूर्ण दूध का उत्पादन कर सकें।
5. शिकायत निवारण प्रणाली
उपभोक्ताओं के लिए एक प्रभावी शिकायत निवारण प्रणाली का निर्माण किया जाना चाहिए, जहां वे नकली दूध के मामले में अपनी शिकायत दर्ज करा सकें और त्वरित कार्रवाई की जा सके।
मीडिया टुडे न्यूज ने रायगढ़ जिले में नकली दूध (Fake Milk) की बढ़ती समस्या पर कलेक्ट्रेड के खाद्य विभाग Food Office के निरीक्षक से बात की। उन्होंने बताया कि जिले में दूध की जांच के लिए कोई Official लैब नहीं है, जिससे गुणवत्ता की पुष्टि करना मुश्किल हो रहा है। उन्होंने सुझाव दिया कि इस विषय पर जिले के स्वास्थ्य विभाग में अतिरिक्त प्रभार पर पदस्थ अंकित गुप्ता जी से संपर्क किया जा सकता है। हमारी टीम ने अंकित गुप्ता से कई बार संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनके द्वारा फोन नहीं उठाया गया। यह उनके कार्य के प्रति लगनता और जिम्मेदारी पर सवाल उठाता है।
निष्कर्ष
रायगढ़ में नकली दूध (Fake Milk) की समस्या नवजात बच्चों और अन्य उपभोक्ताओं की सेहत के लिए एक गंभीर खतरा है। इसके समाधान के लिए सख्त कानून, जनजागरण, और गुणवत्ता नियंत्रण की आवश्यकता है। हमें मिलकर इस समस्या का सामना करना होगा ताकि हमारे बच्चों का भविष्य सुरक्षित और स्वस्थ हो सके। नकली दूध Fake Milk के सेवन से होने वाली बीमारियों को रोकने के लिए सभी नागरिकों को सतर्क और जागरूक रहना होगा, और सरकार को भी इस दिशा में प्रभावी कदम उठाने होंगे।
अभिषेक कुमार शर्मा वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक