मीडिया टुडे न्यूज। Raigarh छत्तीसगढ़ राज्य का एक महत्वपूर्ण औद्योगिक हब है। यहां कई बड़े उद्योग जैसे पावर प्लांट्स, स्टील फैक्ट्रियां और कोयला खदानें स्थापित हैं। इन Plant ने जिले की आर्थिक स्थिति को सशक्त करने में योगदान दिया है, लेकिन दूसरी ओर उन्होंने पर्यावरणीय और सामाजिक समस्याओं को भी जन्म दिया है। जिले के एक सबसे बड़े उद्योग द्वारा समाज के प्रति दायित्व (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी या सीएसआर) CSR को नजरअंदाज किया जा रहा है, और अक्सर CSR मद का दुरुपयोग देखने को मिलता है। जिले के प्रमुख उद्योगों पर सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या वे वास्तव में अपने दायित्व को पूरा कर रहे हैं या केवल दिखावे के लिए नाममात्र का योगदान कर रहे हैं।
Jindal Steel & Power , रायगढ़ जिले का सबसे बड़ा औद्योगिक प्रतिष्ठान होने के बावजूद अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को निभाने में असफल साबित हो रहा है। जनता के हित में सीएसआर फंड का उचित उपयोग करने के बजाय, उद्योग पर केवल दिखावटी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है। क्षेत्र में फैली वायु और जल प्रदूषण की समस्याओं का एक प्रमुख कारण जिंदल उद्योग से निकलने वाला हानिकारक रासायनिक कचरा है, जो न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि स्थानीय निवासियों के स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डाल रहा है। इसके अलावा, कंपनी पर जिले के प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन करने का भी आरोप है, जिससे पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ रहा है और जिले की पारिस्थितिकी को खतरा उत्पन्न हो रहा है। जिंदल उद्योग को चाहिए कि वह अपनी सामाजिक जिम्मेदारी को समझे और पर्यावरण एवं जनता के हितों को प्राथमिकता दे।
इस आर्टिकल में हम रायगढ़ जिले में सीएसआर के दुरुपयोग, पर्यावरण प्रदूषण और संसाधनों के अति-शोषण के मुद्दों पर गहराई से चर्चा करेंगे।
CSR का दुरुपयोग और वास्तविकता
कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) का उद्देश्य होता है कि उद्योग अपने मुनाफे का एक हिस्सा स्थानीय समाज और पर्यावरण के उत्थान में खर्च करें। कानून के अनुसार, सभी उद्योगों को अपनी कमाई का एक निश्चित प्रतिशत सीएसआर गतिविधियों में लगाना चाहिए। लेकिन, रायगढ़ जिले में बड़े उद्योगों द्वारा इस फंड का दुरुपयोग किया जा रहा है।
दिखावे के प्रोजेक्ट और वास्तविक ज़रूरतें
बड़े उद्योग अक्सर दिखावे के लिए प्रोजेक्ट चलाते हैं, जो न तो समाज की वास्तविक ज़रूरतों को पूरा करते हैं और न ही उनके दायित्व को सही ढंग से दर्शाते हैं। जैसे कि स्कूलों में किताबें बाँटना, सड़क किनारे पौधारोपण करना, या अस्पतालों में थोड़ी सी दवाइयों का वितरण करना। ये सब केवल प्रचार के लिए होते हैं, जबकि सीएसआर फंड का सही उपयोग पानी की समस्या, स्वास्थ्य सेवाओं का सुधार, और शैक्षणिक सुविधाओं के विकास के लिए होना चाहिए।
पारदर्शिता का अभाव
अक्सर यह देखा गया है कि सीएसआर फंड के खर्चों में पारदर्शिता का अभाव रहता है। उद्योगों द्वारा किए गए खर्चों का सही रिकॉर्ड नहीं रखा जाता, और न ही उन्हें पब्लिक के साथ साझा किया जाता है। जनता को पता नहीं होता कि वास्तव में उद्योगों द्वारा कितनी राशि खर्च की गई और किन योजनाओं पर खर्च की गई।
राजनीतिक दबाव और भ्रष्टाचार
सीएसआर फंड के दुरुपयोग का एक बड़ा कारण राजनीतिक दबाव और भ्रष्टाचार है। कई बार उद्योगों पर राजनीतिक दलों और स्थानीय नेताओं का दबाव होता है कि वे अपनी पसंद के प्रोजेक्ट्स को सपोर्ट करें। इसके कारण वे प्रोजेक्ट प्राथमिकता में आ जाते हैं जो नेताओं के निजी हित में होते हैं, न कि आम जनता के हित में।
पर्यावरण प्रदूषण और संसाधनों का दोहन
रायगढ़ जिले में बड़े उद्योगों की उपस्थिति ने यहां के पर्यावरण को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। प्रदूषण और संसाधनों के अत्यधिक दोहन के कारण जिले में पर्यावरणीय संकट गहराता जा रहा है।
वायु और जल प्रदूषण
रायगढ़ के कई उद्योगों में प्रदूषण नियंत्रण की उचित व्यवस्थाएं नहीं हैं। फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं और रासायनिक कचरा वातावरण को प्रदूषित करता है। वायु में हानिकारक गैसों का स्तर लगातार बढ़ रहा है, जिससे स्थानीय नागरिकों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। इसके साथ ही, उद्योगों द्वारा कचरे को नदियों और तालाबों में डालने के कारण जल स्रोत भी प्रदूषित हो रहे हैं। इस कारण पीने के पानी की गुणवत्ता में गिरावट आई है, और जल जनित रोगों में वृद्धि हो रही है।
जैव विविधता पर प्रभाव
जिले के जंगल और कृषि योग्य भूमि पर भी इन उद्योगों का गहरा असर पड़ा है। जंगलों की कटाई और कृषि भूमि का अधिग्रहण कर उद्योग स्थापित किए गए हैं, जिससे यहां की जैव विविधता पर बुरा असर पड़ा है। कई वन्यजीव प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं, और पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बिगड़ रहा है।
स्वास्थ्य पर असर
प्रदूषण का सबसे अधिक प्रभाव स्थानीय नागरिकों के स्वास्थ्य पर पड़ता है। यहां की हवा और पानी की गुणवत्ता में गिरावट से सांस और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियां, जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और यहां तक कि कैंसर भी बढ़ रहे हैं। इसके अलावा, प्रदूषित पानी से लोगों में पेट और यकृत से संबंधित समस्याएं हो रही हैं।
सीएसआर में सुधार के सुझाव
सीएसआर फंड का सही तरीके से उपयोग करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:
1. पारदर्शिता : सीएसआर फंड के उपयोग में पारदर्शिता बढ़ाई जानी चाहिए। उद्योगों को यह जानकारी जनता के साथ साझा करनी चाहिए कि वे किस प्रोजेक्ट में कितना निवेश कर रहे हैं। इसके लिए एक सार्वजनिक पोर्टल का निर्माण किया जा सकता है, जहाँ सीएसआर फंड के खर्चों का रिकॉर्ड मौजूद हो।
2. स्थानीय आवश्यकताओं का अध्ययन : उद्योगों को सीएसआर गतिविधियों को लागू करने से पहले स्थानीय आवश्यकताओं का अध्ययन करना चाहिए। उनके प्रोजेक्ट्स का चयन स्थानीय समस्याओं को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए, ताकि उन गतिविधियों का सीधा लाभ जनता को मिले।
3. सामुदायिक सहभागिता : सीएसआर गतिविधियों में स्थानीय समुदाय को शामिल किया जाना चाहिए। इससे समाज के लोग न केवल उद्योगों द्वारा किए जा रहे कार्यों को समझ पाएंगे, बल्कि उनका योगदान भी कर सकेंगे।
4. प्रदूषण नियंत्रण : उद्योगों को प्रदूषण को कम करने के लिए कड़े नियमों का पालन करना चाहिए। उनके पास उन्नत तकनीक का उपयोग कर प्रदूषण नियंत्रण के उपाय होने चाहिए। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उद्योगों द्वारा पर्यावरणीय मानकों का पालन हो।
5. स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार : उद्योगों को अपने सीएसआर फंड का एक हिस्सा स्थानीय स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए समर्पित करना चाहिए। इसके अंतर्गत मोबाइल क्लीनिक, मुफ्त स्वास्थ्य जांच और जरूरी दवाइयों की उपलब्धता शामिल हो सकती है।
6. शैक्षणिक सुविधाओं का विकास : स्थानीय युवाओं के लिए शिक्षा और कौशल विकास कार्यक्रमों में निवेश किया जाना चाहिए, ताकि वे बेहतर रोजगार के अवसर प्राप्त कर सकें।
निष्कर्ष
रायगढ़ जिले में बड़े उद्योगों द्वारा CSR फंड का सही तरीके से उपयोग न किया जाना, संसाधनों का अति-शोषण और बढ़ता हुआ प्रदूषण जिले के सामाजिक और पर्यावरणीय विकास के लिए गंभीर चुनौती है। यदि समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो इससे जिले की पर्यावरणीय और सामाजिक स्थिति और भी अधिक गंभीर हो सकती है। CSR फंड का उपयोग सही दिशा में करना, प्रदूषण को नियंत्रित करना, और संसाधनों का संतुलित दोहन सुनिश्चित करना, उद्योगों की प्राथमिकता होनी चाहिए। इसके साथ ही, सरकार को भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उद्योगों द्वारा किए जा रहे कार्यों का उचित मूल्यांकन हो और समाज के प्रति उनका दायित्व पूरी तरह से निभाया जाए।
समय की मांग है कि उद्योग अपने फायदे के साथ समाज और पर्यावरण की भलाई को भी समान रूप से महत्व दें।