नाम वापसी पर सत्ता में बैठे लोगों के भयादोहन व दबाव पूर्वक कृत्यों से लोकतंत्र की हत्या हुई है।

नाम वापसी

नाम वापसी पर सत्ता में बैठे लोगों के भयादोहन व दबाव पूर्वक कृत्यों से लोकतंत्र की हत्या हुई है।

रायगढ़ 31 जनवरी,
जिला कांग्रेस कमेटी रायगढ़ के अध्यक्ष अनिल शुक्ला ने आज प्रेस विज्ञप्ति जारी कर मीडिया को बताया कि आज नगरिय निकाय चुनाव के नाम वापसी के अंतिम दिन सत्ता पक्ष के लोगों द्वारा अपने साम दाम दंड भेद की नीति अपनाकर कांग्रेस के पार्षदों को खरीदने भयादोहन कर नाम वापिस लेने की सूचना पर संज्ञान लिया गया व त्वरित निर्वाचन कार्यालय की ओर मैं स्वयं अध्यक्ष अनिल शुक्ला अपने साथी पदाधिकारियों के साथ पहुंचे व उन्होंने ने वहां पाया कि कांग्रेस के पार्षद प्रत्याशी को जबरन उकसाकर कार्यालय के भीतर भेजने और नाम वापसी का दवाव बनाया जा रहा था जिस पर सत्ता पक्ष के लोग उन्हें जबरन नाम वापसी के लिए प्रेरित करते नजर आए जिसका विरोध भी कांग्रेस नेताओं ने किया और काफी झूमा झटकी भी हुई।

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वहीं आज हमारे 2 पार्षद प्रत्याशियों ने नाम भी इस दबाव व धन बल के साधन के फलस्वरूप वापस लिए गए जिसकी पूरी जांच पार्टी अपने आंतरिक लोकतंत्र के आधार पर कर रही है भाजपा वाले जो समाचार सोशल मीडिया में चला रहे है उससे ये साफ प्रतीत होता है कि कहीं न कहीं ये सब सत्ता पार्टी का ही किया धरा होगा ,जिसमे एक वार्ड क्रमांक 18 की प्रत्याशी हैं व वार्ड क्रमांक 45 के पार्षद प्रत्याशी जो कि लैलूंगा विधान सभा से आते है वहः भी सत्ता पक्ष की घटिया राजनीति के शिकार हुए हैं इसमे कोई संदेह नहीं है पार्टी ऐंन पर जांच कर अनुशासनात्मक कार्यवाही करेगी और अगर सत्ता पक्ष का कोई भी दबाव का साक्ष्य व लेनदेन उजागर हुआ तो निर्वाचन आयोग से भी इस कि शिकायत की जावेगी।

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अनिल शुक्ला ने कहा
सत्ता पक्ष द्वारा अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर गैर-लोकतांत्रिक तरीकों से विरोधी पार्टी के प्रत्याशियों को प्रभावित करने की कोशिश करना निश्चित रूप से निंदनीय और अक्षम्य है। यह लोकतंत्र की मूल भावना के विरुद्ध है और नागरिकों के अधिकारों का हनन करता है।

लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी एक महत्वपूर्ण पहलू है, जिसमें सभी समूहों और समुदायों को सम्मिलित किया जाता है¹। यह सुनिश्चित करता है कि सभी नागरिकों को समान अवसर मिलें और उनकी आवाज़ सुनी जाए। लेकिन जब सत्ता पक्ष अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर विरोधी पार्टी के प्रत्याशियों को प्रभावित करने की कोशिश करता है, तो यह लोकतंत्र की मूल भावना को कमजोर करता है।

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अनिल शुक्ला ने अपनी विज्ञापि में आगे कहा इस तरह की गतिविधियों से न केवल लोकतंत्र की हत्या होती है, बल्कि यह नागरिकों के विश्वास को भी कमजोर करता है। यह आवश्यक है कि सत्ता पक्ष और विरोधी पार्टी दोनों ही लोकतांत्रिक मूल्यों का पालन करें और नागरिकों के अधिकारों का सम्मान करें।

व्हीनः अनिल शुक्ला ने निर्वाचन आयोग से भी मांग की है कि किसी भी प्रत्याशी को निर्विरोध विजेता घोषित नहीं किया जावे कानूनन जो मतदाताओं को नोटा पर भी बटन दबाने का अधिकार होता है सभी मताधिकारियों को नोटा चुनने का अधिकार मिले साथ ही भारी भय के वातावरण निर्मित होने और स्वस्थ्य राजनीति का वातावरण बनाये रखने हेतु कांग्रेस पार्षद प्रत्याशियों को पर्याप्त सुरक्षा बल प्रदान किए जाएं।

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अनिल शुक्ला ने बताया कि सत्ता में बैठे बड़े आदमी को अपने चाल चरित्र और चेहरे को जग जाहिर होने से बचाने के लिए स्वस्थ्य लोकतंत्र पर भरोसा करना चाहिए।

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