अभिषेक कुमार शर्मा
Media Today News। भारतीय लोकतंत्र में सत्य और न्याय की मांग ने हमेशा ही एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और वर्तमान समय में यह मुद्दा और भी महत्वपूर्ण हो गया है। चुनावी बंधनों के साथ-साथ, न्याय की मांग और सरकार की खुली छाती का मुद्दा राष्ट्र के सामने है।
सरकार के अपार आर्थिक अपराधों की जांच और उनके समाधान की मांग, राष्ट्र के लोगों की प्राथमिकता होनी चाहिए। भाजपा के चुनावी Electoral Bond मामले में ईडी और Income tax department के द्वारा गहन आर्थिक जाँच की ज़रूरत है, ताकि सत्य का पर्दाफाश हो सके और लोगों की आस्था में स्थिरता आ सके। Suprime Court के ऐतिहासिक फैसले के बाद अब देश को इलेक्टोरल बॉन्ड से देश के कामधेनु Aset को कैसे व्यापारियों को कौड़ीयो के दाम बेचा जा रहा था साफ साफ पता चल सकेगा।
पीएम केयर फंड (Pm Care Fund) के घोटाले और Corona काल में विश्व के धनी व्यक्तियों की सूची में शामिल होने वाले Adani की लिस्टिंग वाले मामले के संदेह का सामना करना भी बड़ी चुनौती रही है। इन मुद्दों की गंभीरता को नकारना या उन्हें अनदेखा करना राष्ट्र के लिए हानिकारक हो सकता है।
सरकार के प्रतिष्ठत नेताओं द्वारा विपक्ष की आवाज को दबाने की कोशिशें, और उनकी संसदीय सदस्यता को रद्द करना, यह स्पष्ट रूप से लोकतंत्र के खिलाफ है। इससे स्पष्ट होता है कि सत्ता को फिर से प्राप्त करने के लिए सरकार कोई भी षडयंत्र करने की कोशिश हो सकती है।
कांग्रेस द्वारा “भारत जोड़ो यात्रा” में न्याय की मांग को उजागर करना एक महत्वपूर्ण कदम था, लेकिन सरकार की अवैधानिक घोषणा इसे गौरवान्वित नहीं करती। सर्वोच्च न्यायालय की सख्त कार्रवाई ने न्याय यात्रा को मजबूती प्रदान की है, जो सरकार को समझाने के लिए सबक सिखाती है कि न्याय की भूमिका निभाना कितना महत्वपूर्ण है।
चुनावों के दौरान, सुप्रीम कोर्ट की सख्त कार्रवाई और 100% vvp paid पेपर की निकासी *लोकतंत्र* के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। इससे लोकतंत्र में आत्मविश्वास बढ़ेगा और लोगों का भरोसा भी बढ़ेगा।
समाज में न्याय की मांग का उद्दीपन लेते हुए, हमें स्वतंत्र और सशक्त लोकतंत्र की दिशा में आगे बढ़ने की जरूरत है। Elrctoral Bond का मामला सामने आने से सरकार की खुलती पोल का मुद्दा सिर्फ एक राजनीतिक या आर्थिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह लोकतंत्र की आधारशिला है। लोगों की आस्था और विश्वास को बनाए रखने के लिए, सरकार को न्याय के साथ सत्य का सामना करना होगा। न्याय की मांग एक सामाजिक आधारित आवाज है जो लोगों के हित में उठी है, और इसे अनदेखा करना या उसके खिलाफ कार्रवाई करना लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।
इसलिए, सरकार को लोकतंत्र के मूल्यों को समझने और समर्थन करने की जरूरत है। न्याय की मांग को उठाने वाले लोगों को निरंतर समर्थन और संबोधन देना चाहिए, और उनकी आवाज को सुनना और समझना होगा। इसके अलावा, सरकार को न्याय के मामलों में सख्ती से और निष्पक्षता से जांच करने की जरूरत है, ताकि लोगों में विश्वास बना रहे।
अंत में, न्याय की मांग और सरकार के भ्रष्टाचार मामले में, सरकार को न्यायप्रिय और लोकतंत्र के सिद्धांतों का पालन करना होगा। यह सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। न्याय की मांग को समझना और समर्थन करना हमारे सभी की जिम्मेदारी है, ताकि हम सभी एक समृद्ध और समर्थ लोकतंत्र की दिशा में अग्रसर हो सकें।
बहरहाल देश में जिस तरह से विपक्ष, लोकतंत्र और संविधान का गला घोटा जा रहा है यह आने वाले समय में संपूर्ण तरह से तानाशाही लागू होने का संकेत मात्र है। इन परिस्थितियों पर जल्द ही काबू नही किया गया तो आने वाले समय में देश से लोकतंत्र पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।यह मानवता के खत्म होने और फांसीवादी शासन की शुरुआत होगी जिसके लिए आने वाली नस्लें हमे कोसेंगी और तिल तिल कर मरने को मजबूर होंगी।