कुछ वक्त पहले महाकाल परिसर में लगवाई मूर्तियां उड़ गई थी, उड़कर गिरी तो पता चला कि वो खोखली थी, अभी अभी शिवाजी महाराज की एक मूर्ति भी तेज हवा के झोंके से गिर गई, गिरने के बाद मालूम हुआ कि उसे भी अंदर से बीजेपी के भ्रष्टाचार की दीमक ने खोखला कर रखा है। गरीब देश के श्री राम को करोड़ों के मंदिर ले जाया गया लेकिन वहां भी तो बीजेपी ही का हाथ है, राम के मंदिर को भी भ्रष्टाचार की चम्मच से खाया गया। किसी भी रंग और स्वाद के भ्रष्टाचार को बीजेपी ने नहीं छोड़ा और ना ही किसी ओर के दल के भ्रष्टाचारियों को उनके यहां छोड़ा।
“कसम मुझे इस मिट्टी की मैं देश नहीं बिकने दूंगा” कथन किसी महाकवि के नहीं हमारे प्रधानमंत्री मोदी के है। यह कथन आपके दिमाग में चल रही सोचने की मशीन पर विश्वास का तिलक लगाने के लिए था ताकि आप बस यह कहें कि मोदी के तो आगे पीछे कोई नहीं है तो यह भ्रष्टाचार क्यों और किसके लिए करेगा.? अब इसके आगे आपके सभी जिंदा तर्क दम तोड़ देंगे।
बंगलादेश का ताज़ा घटनाक्रम सभी को मालूम है लेकिन बंगलादेश से हमारे भी भ्रष्टाचार के सम्बन्ध पूरी तरह से जुड़े हुए हैं, बेशक सरकार प्रत्यक्ष रूप से सामने न हो लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से सरकार का हाथ बहुत दूर तक भ्रष्टाचार के पेड़ को पानी दे रहा है। अडानी कुछ महीनों, कुछ ही सालों में हजारों करोड़ से लाखों करोड़ के पहाड़ पर खड़ा हो जाए तो क्या इसका सारा फायदा एक व्यक्ति को है, क्या इसका थोड़ा भी लाभ भारत देश को या देश की जनता को है.? या इसका पूरा फायदा अड़ानी को फायदा पहुंचाने वाली सरकार को ही है.? सब-कुछ राष्ट्रवाद के नारे ओर धर्म के भगवा रंग में छुपा दिया जाता है।
खाली दिमाग आंदोलन कर सकता है। खाली दिमाग राजा का तख्तापलट कर सकता है. खाली दिमाग अधिक रोटी मांगने के बारे में सोच सकता है।
खाली दिमाग को धर्म और मनोरंजन से भर दिया जाए।
रोमन सम्राट जब किसी राज्य को जीतता तो वहां जुपिटर देवता का विशाल मंदिर बनाता और मनोरंजन के लिए विशाल भव्य कोलेसियम का निर्माण कराता। रोमन साम्राज्य में जुपिटर देवता को सबसे बड़ा देवता का दर्जा था. उनकी पूजा करना अनिवार्य था। कोलेसियम मनोरंजन का वो स्थान था जहां प्रजा खूनी तमाशा देखते हुए अपनी भूख अपनी मांग अपना अधिकार भूल जाती थी। रोमन साम्राज्य में जब कभी भी आर्थिक मंदी आती। अकाल आता, कोई संकट आता, तब रोमन शासक जनता को कोलेसियम का खूनी खेल तमाशा दिखाता। रोमन साम्राज्य में जनता के मनोरंजन के लिए 230 कोलेसियम बनाए गए थे।
ग्लैडिएटर दूसरे ग्लैडिएटर को मारता काटता। गुलामो को भूखे शेरों के आगे फेंक दिया जाता। कोलेसियम में मनोरंजन के लिए नव ईसाईयों और पादरियों को ज़िंदा जला दिया जाता। ये सब देखकर जनता को बड़ा मजा आता था। आधी रोटी खाकर भी उन्हें कोलेसियम का मनोरंजन चाहिए था। आज भी मनोरंजन परोसा जा रहा है। फ़िल्म, क्रिकेट, मोबाइल और धर्म, और जो मनोरंजन नही खरीद सकते उन्हें 12-12 घंटे खटाया जाता है ताकि वो सोच ना सकें, उनका दिमाग खाली ना हो काम के अलावा कुछ सोचने के लिए।
एस के शर्मा…✍️