अभिषेक कुमार शर्मा (वरिष्ठ पत्रकार)
मीडिया टुडे न्यूज़। शहर में बुलेट मोटरसाइकिलों में मॉडिफाइड साइलेंसर के चलते फटाकों जैसी तेज आवाजें शहरवासियों के लिए सिरदर्द बन गई हैं। ये आवाजें न केवल ध्वनि प्रदूषण को बढ़ा रही हैं, बल्कि इस कारण लोगों की शांति भंग हो रही है और दुर्घटनाओं का खतरा भी बढ़ रहा है। हालांकि, Raigarh Police Department इस समस्या की ओर से अंजान बनी हुई है, जिससे शहर के नागरिकों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
शहर के विभिन्न इलाकों में अक्सर मोटरसाइकिल चालकों को जान-बूझकर बुलेट की साइलेंसर को मॉडिफाई कर तेज आवाज निकालते हुए देखा जा सकता है। इस प्रकार की आवाजें विशेषकर रात के समय में और त्योहारों के दौरान अधिक सुनाई देती हैं, जब लोग सड़कों पर निकलते हैं और तेज रफ्तार के साथ इन बाइक्स को दौड़ाते हैं। ये आवाजें इतनी तेज होती हैं कि छोटे बच्चे डर जाते हैं, बुजुर्गों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो जाती हैं और कामकाजी लोग भी इससे परेशान हो जाते हैं।
पुलिस की निष्क्रियता (Raigarh Police Department)
स्थानीय निवासियों का कहना है कि उन्होंने कई बार जिला पुलिस को इस विषय पर शिकायत की है, लेकिन पुलिस द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। शहर के वार्ड नंबर 17 के निवासी रमेश गुप्ता ने कहा, “हमने कई बार पुलिस को बताया है कि इस तरह के मॉडिफाइड साइलेंसर से तेज आवाज होती है, जिससे लोग परेशान हैं, लेकिन पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।”
रायगढ़ की ही एक अन्य निवासी, सुनीता देवी कहती हैं, “रात में जब हम सोते हैं तो अचानक इस तरह की फटाके जैसी आवाज से जाग जाते हैं। इससे बुजुर्ग और छोटे बच्चों को बहुत परेशानी होती है। Raigarh Police Department बार-बार फोन करने के बाद भी पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही है।”
स्वास्थ्य पर प्रभाव
ध्वनि प्रदूषण का स्वास्थ्य पर गंभीर असर होता है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस प्रकार की तेज आवाजें मानसिक तनाव, नींद की कमी, और हृदय रोग जैसी समस्याओं को जन्म देती हैं। डॉक्टर्स का मानना है कि इस प्रकार का अनावश्यक ध्वनि प्रदूषण जनता के मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। विशेषकर बुजुर्गों और बच्चों के लिए यह बहुत खतरनाक साबित हो सकता है।
रायगढ़ के मशहूर चिकित्सक डॉ. पी के मिश्रा ने बताया, “ध्वनि प्रदूषण से सबसे अधिक बुजुर्ग और बच्चे प्रभावित होते हैं। यह लगातार तनाव का कारण बन सकता है और हृदय रोगियों के लिए घातक साबित हो सकता है।”
पुलिस की कार्यशैली पर सवाल
पुलिस की निष्क्रियता के कारण आम जनता में नाराजगी है। इस मामले में पुलिस का रवैया सुस्त दिख रहा है, और ऐसा लगता है जैसे उन्हें शहरवासियों की समस्याओं की परवाह ही नहीं है। लोगों का कहना है कि इस विषय पर पुलिस प्रशासन को सख्ती से कदम उठाने की जरूरत है, ताकि इस प्रकार की समस्याओं पर अंकुश लगाया जा सके। कई लोगों का मानना है कि पुलिस की निष्क्रियता कहीं न कहीं ऐसे लापरवाह चालकों को बढ़ावा दे रही है।
शहरवासियों की मांग
शहर के नागरिक चाहते हैं कि पुलिस तुरंत प्रभाव से इस समस्या का समाधान निकाले। लोगों का मानना है कि यदि पुलिस इस विषय को गंभीरता से ले, तो जल्द ही इसे रोका जा सकता है। नागरिकों का सुझाव है कि पुलिस ऐसे चालकों पर सख्त जुर्माना लगाए और मोटरसाइकिलों में मॉडिफाइड साइलेंसर का उपयोग करने वालों पर कानूनी कार्रवाई करे।
शहर की एक एनजीओ कार्यकर्ता सीमा शर्मा का कहना है, “यह केवल ध्वनि प्रदूषण का मामला नहीं है, बल्कि कानून के प्रति अनादर का भी मुद्दा है। पुलिस को चाहिए कि वह जल्द से जल्द इस समस्या का हल निकाले और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे।”
पुलिस विभाग का कहना
जब इस विषय पर पुलिस अधीक्षक कार्यालय से संपर्क किया गया, तो उन्होंने केवल यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि “यह एक छोटी समस्या है और लोग इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहे हैं।” ऐसे जवाब से जनता की नाराजगी और बढ़ गई है। लोगों का कहना है कि जब तक पुलिस इस विषय पर सख्ती से कार्रवाई नहीं करती, तब तक इस समस्या का समाधान संभव नहीं है। वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पुलिस अधीक्षक कार्यालय के एक कर्मचारी अपने स्वयं में सर्वे सर्वा बने हुए है शहर की समस्या से ना कोई वास्ता ना जानकारी वह सिर्फ यूट्यूब पर कार्य करने वाले लोगों को ज्यादा महत्व देते है हो सकता है पुलिस अधीक्षक के द्वारा उनको ऐसा निर्देश दिया गया हो। खैर समय बदलेगा और जनता की समस्या भी।
निष्कर्ष
रायगढ़ शहर में बुलेट मोटरसाइकिलों के मॉडिफाइड साइलेंसर से हो रहे ध्वनि प्रदूषण से आम जनता में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। लोगों का मानना है कि जिला पुलिस को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए और जल्द से जल्द कार्रवाई करनी चाहिए। यदि पुलिस समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं करती, तो शहरवासी अपने स्तर पर आंदोलन करने के लिए भी तैयार हैं।
शहर की शांति और जनता के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए, इस विषय पर ठोस कदम उठाने का समय आ गया है।